डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट में दखलंदाज़ी

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  • Sunday, December 5, 2010
  •              सभी दाखालान्दाज़ों को समाचार देना चाहूँगा कि लखनऊ के हिंदी दैनिक डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट ने आपने कॉलम ब्लॉग गुरु में दखलंदाज़ी की चर्चा की है, और वो भी एक नहीं दो बार. दुःख की बात है कि सही समय पर जानकारी ना हो पाने के कारन हम पहले आपको सूचित नहीं कर सके. अभी कुछ दिन पूर्व मेरे एक मित्र ने इस बारे में बताया तो ब्लोग्स इन मीडिया डोट कॉम से पेपर की कटिंग्स निकालीं. 



                  पहली बार इस कॉलम में दखलंदाज़ी के जिस लेख को जगह मिली है वो है अलोक दीक्षित का लेख अजमल कसाब. इस लेख को पढने के लिए इस लिंक पर जाएँ.... http://dakhalandazi.blogspot.com/2010/05/blog-post_04.html
    इस लेख में अलोक भाई ने कसाब पर मुक़दमे को लेकर आ रही हिंसक प्रतिक्रियाओं का जवाब दिया है और राईट तो फेयर ट्रायल की चर्चा की है. अलोक लिखते हैं.... यह सब कुछ एक कसाब पर आकर खत्म नहीं हो जाता है...यहाँ बात सिस्टम की है. हमारा संविधान कहता है की कोई भी इंसान तब तक दोषी नहीं है जब तक उसका गुनाह साबित नहीं हो जाता. एक और बात भी हमारे संविधान की ही है और वो है राईट टू फेयर ट्रायल.

                       दूसरी बार जब डीएनए ने दखलंदाज़ी को छापा है तो ब्लॉग गुरु कॉलम भोपाल गैस कांड पर आये फैसले पर केन्द्रित है. इस बार मनीष तिवारी के लेख भोपाल गैस कांड : ज़िम्मेदार कौन को ब्लॉग गुरु में जगह दी है. इसमें मनीष भाई ने भोपाल गैस कांड पर लम्बे समय बाद आये फैसले को अपर्याप्त बताया है और २० हज़ार लोगों के लिए महज़ पांच लाख रुपये के मुआवज़े को महज़ सरकारी औपचारिकता करार दिया है.
    मनीष भाई लिखते हैं....अब सरकार से लेकर स्वयंसेवी सगठनों और न्यायिक  तंत्र  ने आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि पुलिस ने लापरवाही की है , पर्याप्त सबूत नहीं पेश किये गए , मुकदमें के दौरान लापरवाही बरती गयी  और जानबूझकर हल्की धाराएँ लगायी गयीं ,
    पर भई  सोचने  की बात तो यह कि यह जो  सारे लोग आज हो हल्ला मचा रहे हैं, उस समय कहाँ थे जब यह सब किया जा रहा था ?
    क्या सरकार ने उस समय अपनी आँखे बंद कर रखीं थीं, जब केस के दौरान लापरवाही बरती जा रहीं थी 


                      हम इसे दखलंदाज़ी ब्लॉग के लिए एक अच्छे संकेत के रूप में देखते हैं, क्योकि अब ऐसा लगने लगा है कि दखलंदाज़ी को सिर्फ हमारे दखलंदाज़ ही नहीं पढ़ते और भी लोग हैं जो हमारी बेबाक राय से दो चार होना पसंद करते हैं और उस पर चर्चा करते हैं. यहाँ सभी दाखालान्दाज़ों से अपील भी करना चाहूँगा कि दखलंदाज़ी  पर सिर्फ लिखें नहीं बल्कि उन मुद्दों को उठायें जो आपको और हमें समय समय पर उद्वेलित करते हैं. क्योकि यही दखलंदाज़ी का वास्तविक उद्देश्य है. हम दखलंदाज़ी पर विचारपरक लेखों और आलोचनाओं को सबसे अधिक महत्वा कि रचना मानते हैं. अगले महीने हमारा ब्लॉग एक साल पूरा करने जा रहा है और इस पर हम ब्लॉग पर कुछ विशिष्ट आयोजन करना चाहेंगे. हमारा प्रयास होगा कि शीघ्र ही हम ब्लॉग समालोचना का कार्य भी शुरू करें. और एक कालम बनाकर नए-पुराने ब्लोग्स की समीक्षा प्रारंभ करें. 

                   अंत में डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट को ढेर सारा धन्यवाद कि उन्होंने हमारे दाखालान्दाज़ों के विचारों को सबके सामने रखा. 
                                         धन्यवाद और बधाई...!!





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