बिजली

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  • Friday, July 2, 2010

  • बिजली का कहर ,आठो पहर ....
    जिससे परेशान सारी बस्ती पूरा शहर
    बस हर तरफ एक ही आवाज़ आई
    बिजली नही आई ,बिजली नही आई
    हर शक्स अपनी -अपनी समास्यें लिए खड़ा था..........
    शहर कि मलिन बस्ती में भी एक सरकारी खम्बा गड़ा था
    जो जरूरतों के हिसाब से छोटा पर बिजली हॉउस से बड़ा था
    जिसपर शांताबाई का लड़का बिन सीडी के चढ़ा था ..........
    तभी अचानक बिजली आई
    एक चीख दी सुनाई
    लड़का खम्बे से नही उतरा
    खम्बे में करंट उतरा
    विधूत विभाग अपना काम कर गया
    शांताबाई का लड़का चिपक कर मर गया
    शहर के हर घर से अँधेरा कंही जाकर छुप गया
    मेरी झोपडी का चिराग भी आज बुझ गया
    इतना कह ............शांताबाई बुदबुदाई ....
    ये बिजली क्यों आई ,ये बिजली क्यों आई

    अनिरुद्ध मदेशिया
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    दखलंदाज़ी जारी रहे..!