ग़ज़ल

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  • Friday, July 2, 2010

  • इस बेरुखे हालात की ये ठण्ड मिटानी होगी
    अब शायरी से दिल में कोई आग लगानी होगी


    लोग जितना खुल के मेरे सामने आएंगे मुझे 
    सामना करने में भी उतनी ही आसानी होगी.


    चलो माना कि नामुमकिन है आसमान को छूना
    फिर भी ज़मीन से थोड़ी दूरी तो बनानी होगी


    हो सकता है झुक जाऊ मै हालत के आगे कभी 
    पर मुश्किलों को भी पूरी ताकत तो लगानी होगी.


    सिर्फ और सिर्फ एक दिया ही काफी होगा
    जब जब हमें अंधेरों की औकात बतानी होगी.


    जो सुनेगा वो भी एकदम जोश से भर जायेगा
    देखना अपनी कभी ऐसी भी कहानी होगी.


    सच बोलने के फायदे मुझको न गिनाया करो
    सच जो कह दूंगा तुम्हे काफी परेशानी होगी.


                     असीम 
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    दखलंदाज़ी जारी रहे..!