पेट्रोल के दाम एक बार फिर बढ़ जाने के बाद आप सोच रहे होंगे की मैं आम आदमी की तकलीफों के बारे में प्रवचन पिलाऊंगा,पर ऐसा नहीं है. आम आदमी जाए भाड़ में. आम आदमी आजकल इतना 'आम' हो गया है की उसके बारे में बात करना मुझे पसंद नहीं है. मैं तो आम आदमी से परे एक 'खास' पालतू और फालतू प्रजाति के बारे में बात करूँगा और वो प्रजाति है प्रेमियों की.
Pankaj Devda
पेट्रोल के दाम एक बार फिर बढ़ जाने के बाद आप सोच रहे होंगे की मैं आम आदमी की तकलीफों के बारे में प्रवचन पिलाऊंगा,पर ऐसा नहीं है. आम आदमी जाए भाड़ में. आम आदमी आजकल इतना 'आम' हो गया है की उसके बारे में बात करना मुझे पसंद नहीं है. मैं तो आम आदमी से परे एक 'खास' पालतू और फालतू प्रजाति के बारे में बात करूँगा और वो प्रजाति है प्रेमियों की.
मैं उन आशिक मिजाज लड़को को लेकर परेशान हूँ जिनकी मोटर साइकलें यदि सुबह सुबह सात स्कूटियों का पीछा न करे तो उनकी आँखें न खुले. मैं उन प्रेमियों के लिए परेशान हूँ जिनकी प्रेमिकाएं उनसे ज्यादा उनकी मोटर साइकलों से प्यार करती है. कभी कभी तो मुझे लगता है की कुछ लड़कियां प्रेमी नाम की दो -चार स्टेपनियाँ साइड मैं इसलिए पटक कर चलती होंगी की ये वाला बंदा मोबाईल में रिचार्ज वाउचर के लिए और वो वाला बाइक पर घुमाने के लिए.
अब अगर पेट्रोल के दाम दिन-ब-दिन ऐसे ही बढ़ने लगे तो इस तरह जो पेट्रोल आधारित प्रेम की सामाजिकता बरक़रार है उसकी साख को तो नुक्सान ही पहुँचेगा ना.
मेने अपने दोस्त से जब इस बारे में बात की तो उसने कहा कि अमेरिका के वेनेजुएला में तो पेट्रोल के दाम 75 पैसे/ली. है. यह सुनकर मुझे बड़ा अच्छा लगा और सारे प्रेमी समाज की और से मैं सरकार से गुजारिश करता हूँ की वो इस तरह की व्यवस्था करे की जैसे काम करने के लिए विदेशों में वीज़ा मिलता है उसी तरह प्रेमियों को प्रेम करने के लिए वीज़ा उपलब्ध हों ताकि वो वहाँ अपनी प्रमिकाओं को बाइक पर बैठा कर घुमा सके. पेट्रोल आधारित प्रेम बड़ा सके क्योकि भारत में जिस तरह पेट्रोल के दाम बढ़ रहे उससे मुझे नहीं लगता की यहाँ 'प्यार' में इतना दम बचेगा की वो बिना पेट्रोल के सहयोग के अपनी 'रिलेशनशिप' बचा लें.
(The views expressed here are those of the author and do not necessarily reflect those of the Dakhalandazi or Bangalured.)