चैम्पियन्स लीग मे दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमो के बीच मुकाबला होता हैं. इस बार भी सभी टीमे जोरदार हैं. जब अब लीग चरण ख्त्म होने को हैं अभी तक सेमीफाईनल की सिर्फ दो टीमे फिक्स हुई हैं .ये दर्शाता हैं के हर बार की तरह इस बार भी मुकाबला कडा है.
हर बार की तरह इस बार भी इस लीग मे एक टीम ऐसी थी जिसे कमजोर माना जा रहा था. परंतु उस टीम और उसके खिलाड़ियो ने अपने खेल से सबको चकित कर दिया . ये टीम है ट्रिनिदाद एंड टोबेगो. वेस्टइंडिज़ की इस टीम से किसी को भी उम्मीद नही थी के ये इतना अच्छा खेल दिखायेगी.
सेमीफाईनल की दौड से तो ट्रिनिदाद एंड टोबेगो बाहर हो गई हैं. मगर हर मुकाबले मे विरोधी टीम को कडी टक्कर दी हैं . अपने 4 मे से 2 मैच जीत कर 4 पाईंट के साथ अंक तालिका मे तीसरे स्थान पर रही है .
हर मुकाबला अंत तक गया
ट्रिनिदाद एंड टोबेगो का कोई भी मैच एक तरफा नही रहा , शुरु के दोनो मैच हारने के बाद भी हौसला नही खोया और आखरी दोनो मैच जीत कर तीसरा स्थान पर रहे .वो तो पहले मैच मे किस्मत ने साथ नही दिया वरना शायद सेमीफाईनल ने पहुच जाती टीम.
पहले मैच मे 98 रन पर आऊट होने के बाद भी, मुम्बई इंडीयंस को आखरी गेंद का इंतेजार करना पडा 99 रन बनाने के लिये, और 1 विकेट से उन्होने मैच जीता.
दुसरे मुकाबले मे न्यू साउथ वेल्स को भी कडी टक्कर दी और मैच का नतीज़ा सुपर ओवर से हुआ जिसमे ट्रिनिदाद एंड टोबेगो को 2 रन से हार मिली.
दो मुकाबले हारने के बाद भी ट्रिनिदाद एंड टोबेगो का जोश कम नही हुआ और तीसरे मैच मे चेन्नई सुपर किंग्स को और चौथे मैच मे केप कोबरा के हाथो से जीत छिन ली.
कूपर , नरिन चमके
ट्रिनिदाद एंड टोबेगो की टीम मे काफी युवा खिलाडी थे.कूपर , सुनिल नरिन ने शानदार गेंद्बाज़ी की और आखरी दो मैचो मे तो कूपर ने बेहतरिन बल्लेबाज़ी करके टीम की जीत मे बहुत बडा योगदान दिया.
सुनिल ने भी शानदार लेग स्पिन गेंदबाज़ी का प्रदर्शन किया और काफी किफायती गेंदबाज़ी करी.उनकी गेंद पर रन बनाने मे हर बल्लेबाज़ को दिक्क्त आ रही थी.
वेस्टइंडिज़ की टीम मे जगह क्यो नही
वेस्टइंडिज़ की टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन नही कर रही हैं . बोर्ड और खिलाडीयो के बीच हो रहे मतभेद के कारण टीम की छवि खराब हो रही हैं.
कूपर , सुनिल नारिन जैसे खिलाडीयो को मौका देना चाहिये. ट्रिनिदाद एंड टोबेगो के कप्तान डैरैन गंगा ने भी बहुत अच्छी कप्तानी करी हैं . पर उन्हे भी 2008 के बाद से वेस्टइंडिज़ की टीम से खेलने का मौका मिला नही मिला हैं. जबकी कूपर और सुनिल नारिन को अब तक एक बार भी वेस्टइंडिज़ की टीम से खेलने का मौका नही मिला हैं .
कूपर को अब तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेलने को नही मिला हैं जबकी 2008 मे वो टी-20 से डेब्यू कर चुके हैं .
सुनील ने 2009 मे डेब्यू किया था और उन्होने सिर्फ 2 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं.
खेल हमेशा खिलाड़्यो से होता हैं और अगर प्रतिभावान खिलाडीयो को अगर खेलने का मौका ना मिले तो ये खेल के लिये नुकसान होता हैं .