खेल मे खिलाड़ी की प्रतिभा और उसके मौजूदा प्रदर्शन को देखकर ही उसे टीम मे लेने या नही लेने का फैसला किया जाता हैं लेकिन अगर चयन करने के लिये खिलाड़ी के व्यवहार को ध्यान मे रखा जाये और उसके प्रदर्शन को नज़रअंदाज किया जाये तो ये उस खिलाड़ी के लिये गलत होगा.

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क्रिस गेल और वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड का विवाद
वर्ल्ड कप के बाद गेल ने जमैका के केलएस रेडियो स्टेशन मे एक इंटरव्यू मे उन्होने वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड की काफी आलोचना की थी. उन्होने वेस्टइंडीज टीम के कोच गिब्सन को भी कोसा और कहा के उन्होने खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को कमजोर किया था. उन्होने कहा कि खिलाड़ी उनसे कहते थे के वो अपना खेल सही तरीके से खेल नही पा रहे हैं .
इस बयान के बाद से वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड क्रिस गेल से नाराज़ है. तब से अब तक उन्हे टीम मे शामिल नही किया गया है. वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड का कहना हैं के जब तक गेल माफी नही मांगेगे तब तक उन्हे टीम मे शामिल नही किया जायेगा.
प्रदर्शन या शिष्टाचार
कोई भी खेल हो उसमें शिष्टाचार जरूरी हैं. अगर खिलाडी शिष्टाचार मे रहेगा तो अपने खेल पर अच्छे से ध्यान दे सकेगा. लेकिन कभी कभी भावनाओं मे बहकर खिलाडी अपनी हदें पार कर देता है तब उसे सज़ा देना भी जरूरी है. मेरा मानना है कि सज़ा का समय ज्यादा नही होना चाहिये.
गेल ने वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड के बारे मे जो भी कहा उसकी सज़ा उन्हे मिल चुकी हैं. अब गेल अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे है और वेस्टइंडीज टीम को उनकी जरूरत भी हैं. मुझे तो लगता है कि वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड को हठ छोड देनी चाहिये. प्रदर्शन के आधार पर गेल को टीम मे रख लेना चाहिये क्योंकि गेल अकेले दम पर मैच जिताने का दम रखते हैं. उन्होने इस साल हुए आई.पी.एल मे यह साबित भी किया है.
साईमडंस भी हुये थे शिकार

भारत से भी ऐसा एक इक्जाम्पल लिया जा सकता है और सीखा जा सकता है कि दुनिया का सबसे पावरफुल क्रिकेट बोर्ड अपने खिलाड़िटों की अनुशासनहीनता से कैसे निपटता है. श्रीसंथ और हरभजन विवाद के बाद भारत ने हरभजन को सजा दी थी. पर ऐसा नही किया था उन्हे हमेशा के लिये टीम से बाहर कर दिया गया हो. खेल मे खिलाड़ी की प्रतिभा को उसके व्यवहार से उपर रखना चाहिये तभी हम खिलाडी और और उसके खेल के साथ पूरा न्याय कर पायेंगे.
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