ये हार कुछ कहती हैं

Posted on
  • Monday, September 5, 2011
  • हार और जीत खेल का एक पहलू हैं और खेल में हारना कोई बुरी बात नहीं हैं मगर हर हार कुछ कहती हैं और जीत में क्या कमी रह गई हैं ये बताती हैं. टीम इंडिया इंग्लैंड के खिलाफ series बहुत बुरी तरह से हार गई और ये हार कई सवाल खड़े कर गई हैं .

    Chirag Joshi, Ujjain
    chirag@dakhalandazi.co.in


    अति
    आत्मविश्वास, मानसिक थकान और तैयारी की कमी

    जब भारत की टीम ने वर्ल्ड कप जीता खूब जश्न मनाया और कहीं ना कहीं हर खिलाडी के मन में ये जरुर आया होगा के अब हम विश्व विजेता हैं. हमें हराना आसन नही होगा, लेकिन शायद वो ये भूल गये थे के ये जीत ODI में मिली थी न की क्रिकेट के सबसे difficult फॉर्मेट टेस्ट क्रिकेट में.

    टेस्ट क्रिकेट जैसा के नाम से ही साबित होता हैं खिलाडियों का असली टेस्ट हैं. खेल में इसी अति अताम्विश्वास के चलते तैयारी में कमी हुई और फिर मानसिक थकान भी .

    नवम्बर 2010 से टीम इंडिया लगातार क्रिकेट खेल रही हैं. ऐसे में थकान तो होना लाज़मी हैं और ये थकान शारीरिक नहीं थी. ये थी मानसिक थकान.

    नवम्बर से 10 दिसम्बर तक Newzeland के साथ ODI उसके बाद South Africa का tour, फिर वर्ल्ड कप और फिर शायद सबसे जरुरी IPL, फिर West indies tour और फिर ये इंग्लैंड का tour .

    IPL भी हैं जिम्मेदार

    IPL ‘INDIAN PREMIER LEAGUE’ या ‘इंडियन पैसा लीग’. जी हां नए players, नयी प्रतिभा को तलाशने के उदेश्य से बना IPL अब सिर्फ पैसो के दम पर चलता हैं और जो मानसिक थकान या चोट टीम इंडिया के खिलाडियो को लग रही हैं उसका प्रमुख कारण हैं अब तक के हुए IPL में हर IPL के बाद टीम इंडिया एक series हारी हैं .

    IPL -1
    2008 में हुए इस पहले संसकरण के बाद टीम इंडिया श्रीलंका में हुई टेस्ट series 1 -2 से हार गई और साथ ही एशिया कप का final भी बुरी तरह से हारी थी.

    IPL -2
    2009 में टीम इंडिया इंग्लैंड में हुए टी-20 वर्ल्ड कप से जल्द ही बाहर हो गई, वहां पर वो सिर्फ बंगलादेश और Ireland को ही हरा सकी.

    IPL -3
    2010 में फिर से टीम इंडिया को टी-20 वर्ल्ड कप में जो West Indies में आयोजित हुआ था वहा हार गई वहा भी वो सिर्फ Ireland और South Africa को ही हरा सकी .

    IPL -4
    2011 में टीम इंडिया जैसे तैसे West indies में series जीत कर आई परन्तु इंग्लैंड के हाथो बुरी तरह से हार गई

    ये साफ़ हैं कि जब टीम इंडिया के खिलाडियो को आराम करना चाहिए वो IPL खेलते हैं. माना वहां भी उन्होंने खेलने का वादा करा हैं पर क्या खेल हमारे स्वास्थ से ऊपर हैं. कई देशो को खिलाडी IPL में नही आते खेलने क्योंकि उसके तुरंत बाद उन्हें कोई बड़ी series खेलनी होती हैं. और आते भी हैं तो कुछ मैच खेलकर चले जाते हैं पर हमारे खिलाड़ी अंत समय तक खेलते हैं .

    धोनी की कप्तानी पर सवाल उठाना गलत हैं

    सिर्फ 1 series हारने से आप उस कप्तान की कप्तानी पर सवाल नही उठा सकते जिसने आपको 4 साल में 2 बड़े tournament में जीत दिलवाई हो 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 में ODI वर्ल्ड कप. साथ ही ये पहली बार हुआ हैं जब धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया कोई टेस्ट series हारी हो. ये हार धोनी की कप्तानी नही खिलाडियों के लचर प्रदर्शन की वजह से हुई हैं .

    तेज गेंदबाजों की हैं जरुरत
    टीम इंडिया के पास कभी अच्छे तेज़ गेंदबाज़ रहे ही नहीं. अगर अब तक देखा जाये तो सिर्फ 3 नाम ही याद आते हैं. कपिल देव, जवागल श्रीनाथ, ज़हीर खान.

    इनके अलावा भारत के पास कभी तेज़ गेंदबाज़ नही रहे. हम हमेशा तेज़ गेंदबाजी में पिछड़े हैं, वर्ल्ड कप में भी हमारे पास तेज़ गेंदबाज़ नही थे वो तो हमारी batting इतनी ज्यादा मजबूत हैं के हमें महसूस ही नही हुई ये कमजोरी वरना final में 275 रन बनाना आसन नही था. MRF PACE FOUNDATION होने के बाद भी भारत में अच्छे तेज़ गेंदबाज़ नहीं हैं. BCCI को इस बारे में सोचना चाहिए क्योंकि शुरुआत में दबाव तेज़ गेंदबाज़ ही बनाते हैं स्पिनर्स उस दबाव को बढ़ाते हैं, सिर्फ स्पिनर्स के दम पर टेस्ट मैच में 20 wicket लेना आसन नहीं हैं खासकर के विदेशी ज़मीन पर ये एक बहुत ही चिंताजनक विषय हैं के कब तक सिर्फ स्पिनर्स और batsmen के दम पर मैच जीतेंगे .

    टी-20 मैच में भी भारत की गेंदबाजी की कमजोरी फिर उजागर हो गई 165 रन का लक्ष्य आसान नही था परन्तु भारत की लचर गेंदबाजी के चलते बड़ी आसानी से इंग्लैंड ने वो लक्ष्य पा लिया .

    टेस्ट series में भी देखने को मिला के Struat Broad और Tim Bresnan ने भी भारतीय गेंदबाजों की खूब पिटाई की. जिस देश में क्रिकेट इतना ज्यादा खेला जाता हो वहा सिर्फ एक तेज़ गेंदबाज़ नही मिल रहा हैं इसमे या तो गलती BCCI की हैं या फिर जिस तरह से आजकल क्रिकेट में पॉवर hitting हो रही हैं batsman के द्वारा उससे गेंदबाज़ कोई नही बनाना चाहता .

    Rotation policy की हैं जरुरत
    टेस्ट series के बाद हुए 2 One Day टूर गेम में भारत ने जीत दर्ज की हैं और इस जीत की सबसे बड़ी बात ये हैं के दोनों ही मैच में उन खिलाडियो ने शानदार प्रदर्शन किया हैं जो अभी तरोताज़ा हैं. विराट कोहली और रोहित शर्मा दोनों का जीत में अहम् योगदान रहा हैं.

    कोहली ने दोनों ही मैच में fifty लगाई हैं. जब कोहली 4th टेस्ट के पहले इंग्लैंड आ गए थे तो रैना की जगह उन्हें खिलाना था, माना उनका प्रदर्शन West-Indies टूर पर अच्छा नहीं रहा था पर ये नहीं भूलना चाहिए के कोहली को तेज़ गेंदबाजी रास आती हैं और साथ ही वो रैना से ज्यादा फिट थे उस वक़्त. इंडियन टीम में rotation policy की बहुत जरुरत हैं, जिसके तहत हर खिलाडी को मौका मिलते रहना चाहिए और जो खिलाड़ी काफी समय से खेल रहा हूँ उसे कुछ matches में रेस्ट देना चाहिए जिसमे Australian टीम माहिर हैं खासकर वो अपने तेज़ गेंदबाजों को हमेशा rotate करते रहते हैं .

    ऑस्ट्रेलिया की टीम से हमने aggressive खेलना तो सिखा हैं पर हमें उनसे rotation policy और साथ ही वो जिस तरह से घरेलु क्रिकेट में खिलाडियो को तय्यारी करवाते हैं वो भी सीखना होगा और अब सिखाने की बरी हमारे बोर्ड की हैं .



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