आखों में एक नशा भी है,
इनमे कोई बसा भी है.
यूं ही ख्वाब नहीं आते हैं,
इनमे तेरी रज़ा भी है.
मंजिल का क्या कहना यारों,
हासिल है गुम्सुदा भी है.
चलते चलते पांव थके हैं,
पर दिल में हौसला भी है.
उसकी आखों में तो देखो,
कई रातों से जगा भी है.
चाहत की गहराई ऐसी,
जो डूबा वो तरा भी है.
लेकिन जिसपे मै मरता हूँ,
वो थोडा बेवफा भी है.
मैंने जो सपना देखा है,
घबराया है डरा भी है.
अक्सर लोग मुझे कहते हैं,
पागल है सरफिरा भी है.