आज क्यों वो फिर याद आया
क्यों दिल ने फिर गुनगुनाया
क्यों आज ये पलके भीगी
क्यों उसने ऐसा गीत गाया
कुछ तो गुनाह था शायद मेरा भी
न मै समझ पाया न उसने समझाया
आज भी मै दीवाना हु बहुत उसका
पर न उसने देखा और न मैंने दिखया
'मनी' इतना तो तय है कि मोहब्बत थी उसको
भी 'पर न उसने माना और न मैने मनाया
....................मनीष शुक्ल