एच जी वेल्स का एक बहुत फेमस नोवेल है टाइम मशीन. उस नावेल की कहानी एक वैज्ञानिक के इर्द गिर्द घूमती है, जो अपनी प्रेमिका को एक दुर्घटना में खो देता है. और फिर वो एक यन्त्र की खोज में जुट जाता है जिससे वो समय में पीछे जा सके और अपनी प्रेमिका को वापस पा सके. वो अपनी खोज में कामयाब हो जाता है और समय में उसकी मृत्यु के थोडा पीछे जाकर उसे पा लेता है. लेकिन यहाँ कहानी एक दिलचस्प मोड़ लेती है और वो प्रेमिका फिर एक दुर्घटना की शिकार हो जाती है ठीक उसी समय पर जब पहले वो मारी गयी थी. फिर निराश होकर वो हजारों साल लम्बी समय यात्रा पर निकल जाता है और अपनी यात्रा के अंत में वो इस नतीजे पर पहुचता है कि हम कुछ भी करके इतिहास को नहीं बदल सकते लेकिन भविष्य को ज़रूर बदल सकते हैं. वो कभी अपने समय में वापस नहीं लौट पता और अपनी खोज टाइम मशीन को भी सिर्फ इसलिए कुर्बान कर देता है जिससे वो भविष्य को बदल सके और वो इसमें कामयाब होता है. आज हम उसी मोड़ पर हैं जहाँ हमें इतिहास और भविष्य में से किसी एक को चुनना है. सवाल है कि हम क्या बदलना चाहते हैं अपना इतिहास या अपना भविष्य या यूं कहें कि हम क्या बदल सकते हैं अपने देश का इतिहास या अपने देश का भविष्य. हम अपने पुरखों कि किस्मत नहीं बदल सकते. पर हम अपनी आने वाली पीढी का मुस्तकबिल ज़रूर संवार सकते हैं.
कुछ ही घंटे बचे हैं फैसला होने में, नहीं मुझे कोर्ट के फैसले से कोई इत्तेफाक नहीं है. मुझे दिलचस्पी है इस फैसले में कि आज हिन्दुस्तान में इन्सान ज्यादा हैं या शैतान. कुछ ही घंटे में पूरे देश कि जनगणना शुरू होगी. गिनती होगी कि हम में से कितने इन्सान हैं और कितने शैतान. पता लगेगा कि पिछले अठारह सालों के दौरान कितने लोगों की नींद टूटी, कितने लोग जागे. कितने लोग शैतान को पहचानना और उस पर पत्थर फेकना सीख पाए हैं, उससे नफरत करना सीख पाए हैं. और कितने लोग हैं जो अभी तक इंसान नहीं बन पाए. वैम्पायर बन गए, होलीवुड फिल्मों की तरह इंसानों का खून पीने वाले अपने स्वार्थपरता कि वज़ह से या अपनी अज्ञानता की वज़ह से. जो भी हो मै इन सब वैम्पायरों के लिए इश्वर से यही दुआ करूंगा कि परम पिता परमेश्वर इन्हें माफ़ कर दो, ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं..?