Save Your Voice: अपनी आवाज बचाओ

Posted on
  • Saturday, January 21, 2012

  •                                 .........अभी नहीं बोले तो कभी नहीं बोल पाओगे


    ‘Save Your Voice’ एक मुहिम है इंटरनेट की आजादी के लिये, फ्रीडम आफ स्पीच की हिफाजत के लिये, एक मजबूत लोकतंत्र के लिये और हमारे बेहतर कल के लिये. आजादी ताकि हम बिना डरे सच कह पाएं और आवाज उठा पाएं अन्याय के खिलाफ, भ्रष्टाचार के खिलाफ और सत्ता की तानाशाही के खिलाफ.

    इंटरनेट ने ही हमें वह मौका दिया था जब हम फ्रीडम आफ स्पीच का सही मायनों में इस्तेमाल करने लगे थे. हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई और एक आन्दोलन खड़ा कर दिया. फ्री स्पीच का सिंबल समझी जाने वाली मीडिया जो कि सरकारों के हाथों की कठपुतली बन जाती थी, आम आदमी की आवाज के आगे मजबूर हो गईं. एक फ्री इंटरनेट ने ही हमें बताया कि ग्रेजुएशन करने के लिये कौन सा कालेज बेस्ट है और यह भी कि कौन सी दुकान पर सबसे सस्ता मोबाइल अवेलबल है. इंटरनेट पर हमने दोस्त बनाए और अपने डिश्कशन फोरम स्टार्ट किये. अगर हम गा सकते थे तो हमने गाया और अगर नहीं गा सकते थे तो उस गा रहे अपने दोस्त को इनकरेज किया. हमने अपने ब्लाग बनाए और उनको पढ़ने के लिये दुनियाभर से रीडर्स भी ढूंढ लिये. और यह सब हुआ क्यूंकि हमें एक अनसेन्सर्ड इंटरनेट मिला. श्रद्धा शर्मा और कोलावेरी इसके बेहतर इक्जाम्पल हैं.

    हमारी सरकार ने गुपचुप तरीके से हमसे यह आजादी छीन ली है और अब हमारा यह इंटरनेट आजाद नहीं रह गया है. सरकार हमारी वेबसाइटों को बैन कर रही है और फेसबुक एकाउंट और पेज डिलीट कर रही है. Information Technology (IT) Act में गुपचुप तरीके से किये गए गैरकानूनी बदलावों से तो अब सरकार के हाथों में इंटरनेट की पूरी कमान ही आ गई है. यही वजह है कि हाल के “Press Freedom Index” में इंडिया की रैंकिंग 122 से गिरकर 131 पर पहुंच गई. प्रेस फ्रीडम के मामले में कजाकिस्तान, साउथ सूडान और अल्बानिया जैसे देश भी इंडिया से बेहतर हैं. Freedom House's Freedom on the Net 2011 की रिपोर्ट में 2009 के बाद से इंडिया को इंटरनेट फ्रीडम में "Partly Free" की कैटगिरी में रखा गया है. हाल ही में IT minister कपिल सिब्बल की वेबसाइटों पर लगाम लगाने की कोशिशें दुनिया के सामने आ गई थीं. सरकारी कई और तरीकों से इस कोशिश में लगी है कि किसी भी तरह इंटरनेट की लगाम सरकारी हाथों में आ जाए.

    सरकार संविधान के मूल नियमों के खिलाफ जाकर यह सब कर रही है और इसके बारे में हम इंटरनेट यूजर्स अब तक बेखबर हैं. कल्पना कीजिए उस दिन की जब आप सुबह उठकर अपना फेसबुक अकाउंट चेक कर रहे होगें और आपको पता चलेगा कि सरकार के खिलाफ किये गए आपके कमेंट की वजह से आपका फेसबुक ही डिलीट कर दिया गया है और आप पर क्रिमिनल चार्जेज लगा दिये गए हैं. क्या आप अपने ब्लाग पर एक ऐसे लोगों का एडमिनिस्ट्रेशन चाहते हैं जो कि आपके लिखे गए कंटेट को बिल्कुल नहीं समझते हैं. क्या आप नहीं चाहते कि इंटरनेट पर अपको अपने विचार रखने की आजादी हो?

    आइये सरकार की इस शाजिश के खिलाफ ‘Save Your Voice’ आन्दोलन का हिस्सा बनें और अपनी फ्रीडम आफ स्पीच के लिये आवाज उठाएं. क्योंकि Albert Camus ने कहा था- “A free press can be good or bad, but, most certainly, without freedom a press will never be anything but bad”.


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