दादा जी बचपन में
सुनाते थे,
अपने बारे में बताते थे,
गाँधी जी के किस्से
नमक कि कहानी
दादा जी कि जुबानी.
कहते थे हम सबसे,
गाँधी जी को
करीब से देखा हैं.
समय बदल गया,
गाँधी जी के
पुतले के साथ .
अब तो मेरे बच्चे भी
कहेंगे कि
हमने भी देखा हैं गाँधी को
जंतर -मंतर पे,
भूखे -लेटे हुए
अन्ना हजारे को
Tarkeshwar Giri,
Delhi