वक़्त किसके पास है..?
Posted on Thursday, June 24, 2010
बारिश ने लिखी कविता
किसी खिड़की के शीशे पर
मगर अल्फाज़ पढ़ने का
यहाँ पर वक़्त किसके पास है
मौसम ने सजाया है
बड़ी मेहनत से अम्बर को
मगर छत पर टहलने का
यहाँ पर वक़्त किसके पास है
बाँहों में थम लो भले
ये बात और है
मगर दिल में उतरने का
यहाँ पर वक़्त किसके पास है
समझ सकते हैं हम
दुनिया के सरे कायदे कानून
मगर खुद को समझने का
यहाँ पर वक़्त किसके पास है.
असीम

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