एक दिन सुबह सबेरे तडके ..
हमारे मित्र के लड़के ....
हमारे पास आये और हमसे बोले
अंकल हमे ये बताइए और समझाइये
कि मेढक कहाँ से आते हैं और कहाँ चले जाते हैं
मैंने कहा इसका बड़ा सीधा सरल है जवाब
राजनीती द्रष्टि से देखेंगे तो समझ जायेंगे आप
जो बरसात में मेढक आते हैं वो बरसाती कहलाते हैं
जो बरसात के बाद भूमिगत हो जाते हैं
जो बरसात भर चीखते चिल्लाते टर्राते हैं
दिनरात के मोहाल को अशांतिपूर्ण बनाते हैं
जिनकी पूरी बरसात मौज में कटती है
पर गरीब कि झोपडी रह रहकर टपकती है
बरसात प्रकर्ति का हिस्सा है मगर
बाढ़ और सूखे का भी होता है डर
पर इनको नही है इससे कोई काम
ये करते हैं पूरे साल.... आराम
इनको किसी और मौसम में देखना चाहोगे
तो सही बता रहा हूँ दोस्तों ......ढूँढते रह जाओगे
ये अगले मौसम में फिर आयेंगे
चीखेंगे चिल्लायेंगे टर्राएंगे....
बाढ़ या फिर सूखा लायेंगे
बाढ़ या फिर सूखा लायेंगे
..............अनिरुद्ध मदेशिया.