मैं मनीष तिवारी अपने विचारों के साथ आपके सामने उपस्थित हूँ ,
कल काफी लम्बे समय के बाद भोपाल गैसकाण्ड का फैसला आया , उम्मीद थी कि एक लम्बे समय के बाद ही सही कम से कम गैस पीड़ितों को न्याय तो मिलेगा , पर सारी उम्मीदें फैसला आने के साथ ही समय धूमिल हो गयीं , और साथ ही यह भी पता चला कि २०,००० हजार लोगों की जान की कीमत है महज ५ लाख रुपये , क्योंकि सजा देने और दिलाने के नाम पर तो बस सरकारी औपचारिकता निभा दी गयी है , हाँ इस मौके पर भी हमेशा की तरह शासन-प्रशासन के मध्य अपनी छवि उजली रखने और सारा दोष दूसरों पर मढ़ देने का पुराना खेल शुरू हो गया है , और जब बात सहानुभूति को वोटों में कैश करने की हो तो भला विपक्ष इसमें कैसे पीछे रहता ,
अब सरकार से लेकर स्वयंसेवी सगठनों और न्यायिक तंत्र ने आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि पुलिस ने लापरवाही की है , पर्याप्त सबूत नहीं पेश किये गए , मुकदमें के दौरान लापरवाही बरती गयी और जानबूझकर हल्की धाराएँ लगायी गयीं ,
पर भई सोचने की बात तो यह कि यह जो सारे लोग आज हो हल्ला मचा रहे हैं, उस समय कहाँ थे जब यह सब किया जा रहा था ?
क्या सरकार ने उस समय अपनी आँखे बंद कर रखीं थीं, जब केस के दौरान लापरवाही बरती जा रहीं थी ?
क्या ऐसा नहीं है ?
और अगर ऐसा नहीं है , तो भी इस सब के लिए जितनी जिम्मेदार जांच एजेंसियां और पुलिस हैं उससे कहीं ज्यादा दोषी सरकार और यही स्वयंसेवी संगठन भी हैं !
हाँ यदि वे दोषी नहीं हैं , तब तो फिर सभी उतने ही पाक-साफ हैं ?
तो फिर आखिरकार भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कौन है ?
क्या सच में कोई नहीं ????
असल गुनहगार कौन कुछ काम न आया...
गैस रिसाव के बाद लगा लाशों का ढेर |
अब सरकार से लेकर स्वयंसेवी सगठनों और न्यायिक तंत्र ने आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि पुलिस ने लापरवाही की है , पर्याप्त सबूत नहीं पेश किये गए , मुकदमें के दौरान लापरवाही बरती गयी और जानबूझकर हल्की धाराएँ लगायी गयीं ,
पर भई सोचने की बात तो यह कि यह जो सारे लोग आज हो हल्ला मचा रहे हैं, उस समय कहाँ थे जब यह सब किया जा रहा था ?
क्या सरकार ने उस समय अपनी आँखे बंद कर रखीं थीं, जब केस के दौरान लापरवाही बरती जा रहीं थी ?
दुधमुहे को बचाने को अंतिम सांस तक जुटी रही एक माँ |
और अगर ऐसा नहीं है , तो भी इस सब के लिए जितनी जिम्मेदार जांच एजेंसियां और पुलिस हैं उससे कहीं ज्यादा दोषी सरकार और यही स्वयंसेवी संगठन भी हैं !
हाँ यदि वे दोषी नहीं हैं , तब तो फिर सभी उतने ही पाक-साफ हैं ?
तो फिर आखिरकार भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कौन है ?
क्या सच में कोई नहीं ????
असल गुनहगार कौन कुछ काम न आया...