पहले के दौर मे ही नही आज भी उनका संगीत और उनकी आवाज़ का जादू बरकरार हैं जिसका सबूत हैं टैक्सी नबंर 9-2-11 का ये गाना ‘शोला हैं या हैं बिजूरिया’और फिर अभी आया गाना जिसने तो धूम मचा रखी हैं “ ‘ऊ ला ला ऊ ला ला’.”
Chirag Joshi, Ujjain
chirag@dakhalandazi.co.in
‘आओ तुम्हे चांद पे ले जाये’” और हां ‘“चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना”’,‘के “जलता हैं जिया मेरा भीगी रातो में’ क्योंकि ‘आए “एम अ डिस्को डांसर’ ‘जिंदगी मेरा गाना”’ और ‘“यार बिना चैन कहा रे’”, ‘फिर भी “लोग कहते हैं मैं शराबी हूं’” पर ‘जिंदगी हैं एक जुआ खेलता जा खेलता जा बाजीयो पे बाजी’” क्योंकी “’शोला हैं या हैं बिजूरिया.... बबंई नगरीया’” इसिलिये ‘बस गाये जा “ऊ ला ला ऊ ला ला तू हैं मेरी फैंटेसी’ “
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‘आओ तुम्हे चांद पे ले जाये’” और हां ‘“चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना”’,‘के “जलता हैं जिया मेरा भीगी रातो में’ क्योंकि ‘आए “एम अ डिस्को डांसर’ ‘जिंदगी मेरा गाना”’ और ‘“यार बिना चैन कहा रे’”, ‘फिर भी “लोग कहते हैं मैं शराबी हूं’” पर ‘जिंदगी हैं एक जुआ खेलता जा खेलता जा बाजीयो पे बाजी’” क्योंकी “’शोला हैं या हैं बिजूरिया.... बबंई नगरीया’” इसिलिये ‘बस गाये जा “ऊ ला ला ऊ ला ला तू हैं मेरी फैंटेसी’ “
ये वो गीत हैं जिनमे बप्पी दा की आवाज अथवा संगीत या दोनों का जादू हैं.
27 नवबंर 1952 को जन्मे बप्पी को संगीत की तालीम घर से ही मिली. उनके पिताजी अपरेश लहरी एक मशहूर बंगाली गायक थे. उनकी माताजी बंसरी लहरी भी एक अच्छी संगीतकार रही हैं.
बप्पी दा ने तीन साल की उम्र से ही तबला बजाना शुरू कर दिया था. 19 साल की उम्र मे उन्हे पहली बार सन् 1972 मे एक बंगाली फिल्म दादू मे संगीत देने का मौका मिला.
बालीवुड मे उनका आगमन सन 1973 मे हुआ जब उन्होने नन्हा शिकारी में संगीत दिया. बप्पी दा का जादू तो 1975 मे आयी फिल्म ‘जख्मी’ में दिखा. इस फिल्म में उन्होने संगीत देने के साथ ही फिल्म के गाने भी गाये.
“’आओ तुम्हे चांद पे ले जाये’“, “’जलता हैं जीया मेरा भीगी भीगी रातों मे’” उस फिल्म के मशहूर गाने हैं. बप्पी दा ने इस फिल्म मे “ Nothing is Impossible गाना किशोर दा और मोहम्मद रफी के साथ गाया था.
“चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना ..कभी अलविदा ना कहना” गीत को किशोर दा के कारण जाना जाता हैं. पर इस गीत का संगीत बप्पी दा ने दिया था.
सन 1980 मे आयी डिस्को डांसर ने बप्पी दा को एक अलग पहचान दी, इस फिल्म के जरिये बालीवुड मे डिस्को का आगमन हुआ और उसके बाद से उन्हे डिस्को किंग कहा जाने लगा. बप्पी दा ने मिथुन की कई फिल्मो मे संगीत दिया और गाया भी, जब दलाल फिल्म का ‘चढ गया उपर रे अटरीया पे’” गीत आया था तो हर इसकी धूम मची हुई थी. इस फिल्म मे भी मिथुन ने अभिनय किया था.
इसके बाद बप्पी दा ने एक बाद एक हिट गाने दिये और उन्हे सन 1984 मे फिल्म ‘शराबी’के लिये बेस्ट संगीतकार का फिल्मफैयर का अवार्ड मिला.
पहले के दौर मे ही नही आज भी उनका संगीत और उनकी आवाज़ का जादू बरकरार हैं जिसका सबूत हैं टैक्सी नबंर 9-2-11 का ये गाना ‘शोला हैं या हैं बिजूरिया’और फिर अभी आया गाना जिसने तो धूम मचा रखी हैं “ ‘ऊ ला ला ऊ ला ला’.”
हम उम्मीद करते हैं के भविष्य मे हमे बप्पी दा से कई और शानदार गाने सुनने के लिये मिलेगे. बप्पी दा को उनके जन्मदिन पर दखलंदाजी की ओर से बहुत बहुत बधाई.
27 नवबंर 1952 को जन्मे बप्पी को संगीत की तालीम घर से ही मिली. उनके पिताजी अपरेश लहरी एक मशहूर बंगाली गायक थे. उनकी माताजी बंसरी लहरी भी एक अच्छी संगीतकार रही हैं.
बप्पी दा ने तीन साल की उम्र से ही तबला बजाना शुरू कर दिया था. 19 साल की उम्र मे उन्हे पहली बार सन् 1972 मे एक बंगाली फिल्म दादू मे संगीत देने का मौका मिला.
बालीवुड मे उनका आगमन सन 1973 मे हुआ जब उन्होने नन्हा शिकारी में संगीत दिया. बप्पी दा का जादू तो 1975 मे आयी फिल्म ‘जख्मी’ में दिखा. इस फिल्म में उन्होने संगीत देने के साथ ही फिल्म के गाने भी गाये.
“’आओ तुम्हे चांद पे ले जाये’“, “’जलता हैं जीया मेरा भीगी भीगी रातों मे’” उस फिल्म के मशहूर गाने हैं. बप्पी दा ने इस फिल्म मे “ Nothing is Impossible गाना किशोर दा और मोहम्मद रफी के साथ गाया था.
“चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना ..कभी अलविदा ना कहना” गीत को किशोर दा के कारण जाना जाता हैं. पर इस गीत का संगीत बप्पी दा ने दिया था.
सन 1980 मे आयी डिस्को डांसर ने बप्पी दा को एक अलग पहचान दी, इस फिल्म के जरिये बालीवुड मे डिस्को का आगमन हुआ और उसके बाद से उन्हे डिस्को किंग कहा जाने लगा. बप्पी दा ने मिथुन की कई फिल्मो मे संगीत दिया और गाया भी, जब दलाल फिल्म का ‘चढ गया उपर रे अटरीया पे’” गीत आया था तो हर इसकी धूम मची हुई थी. इस फिल्म मे भी मिथुन ने अभिनय किया था.
इसके बाद बप्पी दा ने एक बाद एक हिट गाने दिये और उन्हे सन 1984 मे फिल्म ‘शराबी’के लिये बेस्ट संगीतकार का फिल्मफैयर का अवार्ड मिला.
पहले के दौर मे ही नही आज भी उनका संगीत और उनकी आवाज़ का जादू बरकरार हैं जिसका सबूत हैं टैक्सी नबंर 9-2-11 का ये गाना ‘शोला हैं या हैं बिजूरिया’और फिर अभी आया गाना जिसने तो धूम मचा रखी हैं “ ‘ऊ ला ला ऊ ला ला’.”
हम उम्मीद करते हैं के भविष्य मे हमे बप्पी दा से कई और शानदार गाने सुनने के लिये मिलेगे. बप्पी दा को उनके जन्मदिन पर दखलंदाजी की ओर से बहुत बहुत बधाई.