जोश और जूनून साथ हो और कुछ कर गुजरने का जब हो हौसला तो आप अपनी ज़िंदगी मे जो चाहे पा सकते हो. ऐसी ही कहानी है उज्जैन के रहने वाले स्वप्निल महाकाल की जिन्होने अब तक जो चाहा वो पाया और अब आगे की राह पाने के लिये वे आस्ट्रेलिया रवाना हो चुके हैं.
स्वप्निल के रवाना होने से पहले दखलंदाजी के स्पोर्ट्स एडीटर चिराग ने जाना आखिर कैसे हुई यह शुरूआत.
क्रिकेट तो हर इंडियन खेलता है पर ऐसा कब लगा कि क्रिकेटर भी बना जा सकता है?
मेरे पापा ने मुझे फोर्सफुल्ली एक क्रिकेट अकादमी मे दाखिला दिलाया था और फिर वही से मैंने खेलना सीखा. गर्मी की छुट्टियों में इस अकादमी मे खेलने गया था. इसके साथ ही मैं अपने दोस्त अभीजीत और प्रतीक के साथ दिनभर क्रिकेट खेलता था. उस वक़्त हम प्लास्टिक की बाल से खेला करते थे.
एक बार हम तीनो ने एक अनलिमिटेड ओवर का मैच रखा और मै उस वक़्त सिर्फ गेंदबाज़ी करता था. सामने वाली टीम ने 315 रन बनाये थे और मेरे दोनो दोस्त ज़ीरो पर आऊट हो गये अब सिर्फ मैं बचा था. मैने सिर्फ ये ध्यान रखा कि मेरे दोस्तों ने क्या गलती की थी. यकीन मानिये मैंने उस मैच मे 316 रन बनाये थे और मैच जीता था. इसी तरह का वाकया एक बार और हुआ. उस वक्त मैंने 4.5 घंटे बल्लेबाज़ी की और 715 रन बनाये. यही वो 2 वाकये हैं जिनसे मुझे लगा के मैं खेल सकता हूं.
लेदर बाल से क्रिकेट मैने कालेज मे खेलना शुरू किया और एक टीम बनायी. उस टीम कई ऐसे खिलाडी थे, जिन्हे बैट पकडना भी सिखाना पड़ा था. वो टीम उज्जैन लेवल पर विनर बनी.
मजेदार बात यह है कि फाइनल मैच में लास्ट ओवर में मैने 4 रन बचाये और मैच जिता दिया. उस ओवर मे गेंदबाज़ी करते वक्त मैने ब्राड को फालो किया था. मैंने समझा था कि कैसे वो आखरी ओवर्स में राऊंड द विकेट आकर गेंदबाज़ी करते हैं .
आगे के एचीवमेंट्स क्या रहे ?
उज्जैन लेवल पर जीतने के बाद मै डिस्ट्रिक लेवल पर खेला और वहां से मुझे डिविज़न मे खेलने का मौका मिला पर इग्जाम की वजह से जा नहीं सका.
उसके बाद मुझे कपंनी लीग के ट्रायल मे मौका मिला उसमे आईडिया, एयरसेल, एम.आर.एफ, अपोलो टायर जैसी कंपनियां थी. उसमे मेरा सेलेक्शन आईडिया ने किया.
पहले मुझे स्टैंडबाय रखा गया था. ये लोग जहां खेलते थे मुझे साथ ले जाते थे और फिर धीरे-धीरे मुझे खेलने के मौके भी मिले. यह सिलसिला पंजाब से शुरु हुआ और अभी हाल ही में मै नेपाल से खेलकर आया हूं. ये लोग अब मुझे आस्ट्रेलिया ले जा रहे हैं. वहां पर हमे ट्रेनिंग देंगे. वहां पर आस्ट्रेलिया के घरेलू टीम के चयनकर्ता होंगे उन्हे हमारा खेल पसंद आया तो बिग बैश मे मौका मिल सकता हैं.
आस्ट्रेलिया के बाद हमे इंग्लैड ले जाया जायेगा. हमारे साथ दिल्ली के कोच नितिन सर रहेंगे जिन्होने भारत के लिये अंडर -19 भी खेला था. ये लीग उतरांचल क्रिकेट ने कराई थी.
तुम्हारा आइडियल कौन हैं ?
सचिन तेंडूलकर और इरफान पठान. मैं एक बार सचिन के साथ खेलना चाहता हूं.
आजकल रणजी के अलावा और कई तरीकों से चयन हो रहा हैं जैसे आई.पी.एल या जो तुम्हारा तरीका हैं. क्या ये तरीके बेहतर हैं?
मेरा मानना हैं के अगर वनडे के लिये खिलाडी चुनना हो तो ये तरीके बेहतर हैं क्योंकि खिलाडी उस फार्मेट मे खेलता रहता हैं हां, अगर आपको टेस्ट मैच के लिये खिलाडी चाहिये तो रणजी बेहतर हैं.
किसी सीनियर प्लेयर के साथ खेलने का मौका मिला?
दिल्ली मे अजित अगरकर से मिलने का मौका मिला था. उन्हे गेंदबाज़ी भी की और उन्होने तारीफ भी की.
यहां तक आने का क्रेडिट किसे दोंगे?
प्लास्टिक बाल क्रिकेट और उन 315 रन और 715 रनों की पारियों को. साथ ही मेरे दोस्तों अभिजीत और प्रतीक को भी जिन्होने मेरा काफी साथ दिया.
2 साल बाद खुद को कहां देखते हो?
2 साल बाद टीम इंडिया में शामिल होना चाहता हूं और जल्द मौका मिले तो और बढिया होगा कि सचिन के साथ खेलने का मौका मिल जाएगा.
यूथ जो क्रिकेट मे आना चाहते हैं उनके लिये कोई राय?
उनके लिये बस इतना कहना चाहूँगा के पूरे डेडीकेशन से खेलो और बस अपना बेस्ट दो.
दखलंदाजी की पूरी टीम की ओर से स्वप्निल को बहुत बहुत बधाई. हम उम्मीद करते हैं के जल्द ही उनका चयन इंडियन टीम मे हो.