एक पत्ता

Posted on
  • Thursday, September 1, 2011
  • मैंने देखा इक मरता हुआ पत्ता।
    बदर्द दुनिया से डरता हुआ पत्ता।
    पेड़ से जुदाई में रोता हुआ पत्ता।
    प्यार में कुर्बान होता हुआ पत्ता।
    धरा की गोद में सोता हुआ पत्ता।
    मनुष्य के स्वार्थी जीवन के अंतिम
    क्षणों की याद दिलाता हुआ पत्ता।
    अंत का अर्थ बताता हुआ पत्ता।
    कबीर की बात सुनाता हुआ पत्ता।
    इस अथाह, असीमित सुन्दर दुनिया
    का स्वार्थी रंग दिखाता हुआ पत्ता।
    जीवन का अर्थ बताता हुआ पत्ता।
    बुढ़ापे की कहानी कहता हुआ पत्ता।
    जीवन की नयी उत्पत्ति को स्वयं की
    खाद से सुपोषित करता हुआ पत्ता।

    By: Neeraj Dwivedi

    आपको नहीं लगता ये पेड़ से अलग मरता हुआ पत्ता हमारे मनुष्य जीवन को दर्शा रहा है। अपने जीवन भर इस पत्ते ने(मनुष्य ने) पेड़ का(अपने परिवार का) साथ दिया, और जब ये पत्ता(मनुष्य) सूख(वृद्ध हो) गया, तो इसके पेड़(परिवार) ने इसे स्वयं से अलग कर दिया। अकेला, असहाय, मौत से जूझता हुआ, और मृत्यु के बाद भी स्वयं को नवांकुरित पौध के लिए खाद रूप में समर्पित करके, ये पत्ता एक वृद्ध मनुष्य के ही जीवन को दर्शाता है, जो वृद्धावस्था में भी मोह में अपने परिवार के प्रति समर्पित बना रहता है।

    साथ ही ये देता है कबीर का सन्देश कि मृत्यु ही इक शाश्वत सत्य है।

    माटी कहे कुम्हार से, जो तू रौंदे मोय,
    एक दिन ऐसा आयेगा, मैं रौदूंगी तोय।




    Next previous
     
    Copyright (c) 2011दखलंदाज़ी
    दखलंदाज़ी जारी रहे..!