Field कोई भी हो हर जगह जीत की अपनी एक importance होती हैं और हर जीत लोगो के व्यवहार, आचरण और समझ में बदलाव लाती हैं. कुछ जीतें जोश बढाती और कुछ अपने अन्दर छुपी शक्तियों की जानकारी दे जाती हैं. हार की बात को कुछ समय के लिये दरकिनार किया जाए तो पता चलेगा कि हमारा जीत का एक बड़ा इतिहास रहा है. भारत में आज़ादी को पाने के लिए कई लडाईयां हुई और इन्हीं के बल पर देश आज़ाद भी हुआ. आज़ादी के बाद दो ऐसी जीतें हैं जो इंडिया के लिये माइलस्टोन बन गईं.

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1983 वर्ल्ड कप की जीत
1983 से पहले भारत की टीम को एक कमज़ोर टीम के रूप में देखा जाता था जिसे घर में हराना थोडा मुश्किल था और बाहर काफी आसान और तब तक भारत ने कोई बड़ी जीत भी हासिल नही की थी .
पहले ही मैच में चैंपियंस को हराया
1983 वर्ल्ड कप के पहले ही मैच में भारत ने 2 बार के वर्ल्ड चैंपियंस west indies को हरा कर एक नयी रोशनी की किरण जगाई और इस जीत को आधार बना कर भारत क्वाटर फाइनल में प्रवेश कर गया .
कपिल की 175 रनों की वो यादगार पारी
क्वाटर फाइनल में जब भारत के 5 wicket सिर्फ 17 runs पर गिर गए तो लगा कि भारत का सफ़र शायद यही तक रहेगा मगर टीम के कप्तान और भारत के सफलतम all-rounder कपिल देव हार मानने को तैयार नहीं थे. उन्होंने 138 balls पर 16 fours एंड 6 sixes की मदद से शानदार 175 रन not out बनाये .

final में जब भारत की टीम सिर्फ 183 पर आउट हो गई तो लगा west indies लगातार तीसरी बार वर्ल्ड कप विजेता बन जायेगा पर नियति और भारत की टीम ने कुछ और ही सोच कर रखा था . वेस्टेन्डीज की पूरी टीम 140 पर ढेर हो गई और भारत पहली बार वर्ल्ड कप विजेता बना .
जीत लायी बदलाव
इस जीत ने बहुत कुछ बदला. अब खिलाडियों और उनके साथ भारत के लोगो को भी लगने लगा के ये टीम जीत सकती हैं. कई लोगों के लिए यह जीत एक प्रेरणा बन कर आई और मन में सपना संजोया कि हम भी देश के लिये वर्ल्ड कप जीत कर लायेंगे. उन सब लोगों में से एक सचिन तेंदुलकर और 2011 में वर्ल्ड कप विनर बन कर अपना सपना पूरा किया. देश में 1983 के बाद क्रिकेट काफी ज्यादा खेला जाने लगा और फिर जब Hockey में इंडिया बार बार टीम हरने लगी तो फिर देश ने क्रिकेट को ही अपना खेल मान लिया. गली-गली में क्रिकेट खेला जाने लगा और कई सारे प्रतिभावान खिलाडी देश को मिले .
अन्ना की जीत

केजरीवाल और बेदी हैं बेमिसाल
अरविन्द केजरीवाल और किरण बेदी ये दो वो शक्स हैं जिन्होंने इस आन्दोलन को आगे बढाने ,जनता को साथ जोडने में बहुत साथ दिया. जहां अन्ना एक तरफ अनशन पर बैठकर सरकार को चेता रहे थे वहीं दूसरी तरफ केजरीवाल और बेदी ने लोगो का जनजागरण कर के इस बिल से उन्हे पूरी तरह जोड़ दिया था .
और जनता जाग गई
इस आन्दोलन से चाहे कुछ हुआ हो या नही मगर भारत की जनता जरूर जाग गई. अन्ना के अनशन से मिली जीत से जनता समझ गई कि अगर वो सरकार के जुल्म सहती रही तो कुछ नहीं होगा. उन्हें आगे आना होगा और अपने हक की लड़ाई लड़नी होगी, खासकर देश के युवा अब ये बात समझ चुके हैं और शायद सरकार को भी ये बात समझ आ रही होगी.
रामलीला मैदान और लोर्ड्स
रामलीला मैदान पर मिली अन्ना की जीत हो या लोर्ड्स पर 1983 दोनों ही जीत ने देश और क्रिकेट में बहुत सारे बदलाव दिखाए हैं. जब-जब संघर्ष करके जीत मिलती हैं लोगो की सोच में बदलाव निश्चित ही होता हैं और साथ ही हमारे दुश्मन भी हमारी ताकत को पहचान लेते हैं. ठीक वैसे ही जैसे कारगिल युद्ध में भी पाकिस्तान ये जान गया था कि भारत उससे कही अधिक शक्तिशाली हैं .
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