पोर्नोग्राफी: ज़रुरत है ठोस क़ानून की

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  • Sunday, August 7, 2011
  • वर्तमान में इंटरनेट उपयोग के समय कोई पुख्ता सिक्योरिटी सिस्टम उपलब्ध नहीं है। जो बच्चों व किशोरों को पोर्न साईटों पर जाने से रोक सके। इस तरह की अश्लील साईटें अपने मुखपृष्ठ पर 18 वर्ष से अधिक आयु होने पर ही लाग आन करने की इजाजत देती है। लेकिन इनके पास भी ऐसा कोई साधन नहीं है जिससे यह पता चल सके कि विजिटर्स वयस्क है भी या नहीं?


    Akhilesh Shukla
    Writer and Critic

    इंटरनेट ने आम आदमी के लिए तरक्की के मार्ग दिखाए हैं वहीं कुछ विसंगतियां भी पैदा की हैं। आज आम इंटरनेट यूज़र्स का गाने, म्यूजिक, वाल पेपर व अन्य सामग्री भी डाउनलोड़ करते समय प्रायः पोर्न वेबसाईटों के लिंक से भी वास्ता पड़ता ही है। इस तरह की सर्वाधिक वेबसाईटें अंग्रेजी में हैं। विश्व की अन्य भाषाओं में उपलब्ध इन साइटों की संख्या भी कम नहीं हैं। यह जानकर अचरज होता है कि भारत की पोर्न साइटें भी सेक्स परोसने में विश्व से अधिक पीछे नहीं है।

    आज से कुछ वर्ष पूर्व तक इंटरनेट पर उपलब्ध इन साईटों पर अश्लील सामग्री केवल चित्र के रूप में उपलब्ध थी। इसके पश्चात वीडियो क्लिप्स ने युवाओं की मानसिकता में विकृति उत्पन्न की। उस समय केवल 15 सेकेण्ड से 60 सेकेण्ड की वीडियो क्लिप्स ही इंटरनेट पर थीं। उस वक्त आनलाईन सेक्स चेटिंग का चस्का भी इन साईटों ने किशोरों व युवाओं को लगाया था। लेकिन आज कम्प्यूटर तकनीक व उसकी गति में उल्लेखनीय वृद्धि ने इनकी अपरोक्ष रूप से सहायता की है। इनका फायदा उठाने में पोर्न साईटें पीछे नहीं रही हैं। आज इंटरनेट पर 3-4 मिनिट से लेकर 50-60 मिनिट तक के वीडियो फ्री में डाउनलोड़ करने के लिए उपलब्ध हैं। इन की पिक्चर क्वालिटी व उन्नत तकनीक चकित कर देती है।
    इंटरनेट पर उपलब्ध अधिकांश अश्लील वेबसाईट अमरीका व योरोप के देशों की हैं। जिन पर अन्य देशो ं के आपत्तिजनक वीडियो उपलब्ध हैं। इनके साथ ही इन पर अश्लील वार्तालाप व संगीत भी अपलोड किया गया है। अब तो ऐसी भारतीय वेबसाईटों की संख्या भी कम नहीं है जिनपर अधिकांश सामग्री के संकेत हिंदी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध हैं। इन अश्लील वेबसाईटों के स्वयं के अनेक सर्च इंजन अश्लील सामग्री सर्च करने के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जो किसी भी वीडियो को मिनटों में ढूंढकर उपलब्ध करा देते हैं। इंटरनेट पर सेक्स यूजर्स में सर्वाधिक लोकप्रिय साइट व सर्च इंजन यू पोर्न पर इन वीडियो की संख्या लाखों में है। अन्य साइटों पर भी बढ़ती अश्लील सामग्री चिंता का विषय बनती जा रही है।
    इंटरनेट का उपयोग करते समय किशोर व बच्चे इनका शिकार हो रहे है। एक सर्वे के अनुसार 10 में से 7 युवा इनके शिकार हैं। इन वेबसाईटों के लिंक मेल अथवा चेटिंग करते समय संदेश के रूप में प्राप्त होते रहते हैं। इनकी आपत्तिजनक भाषा व अश्लील प्रस्तुति किशोरवय बच्चों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। वर्तमान में इंटरनेट उपयोग के समय कोई पुख्ता सिक्योरिटी सिस्टम उपलब्ध नहीं है। जो बच्चों व किशोरों को पोर्न साईटों पर जाने से रोक सके। इस तरह की अश्लील साईटें अपने मुखपृष्ठ पर 18 वर्ष से अधिक आयु होने पर ही लाग आन करने की इजाजत देती है। लेकिन इनके पास भी ऐसा कोई साधन नहीं है जिससे यह पता चल सके कि विजिटर्स वयस्क है भी या नहीं? जो यूजर्स लिख दे वही इनके लिए सही है। इस स्थिति में किसी भी उम्र व्यक्ति का इन पर विजिट करना आसान है।
    आज साइबर कानूनों में इस तरह के प्रावधान नहीं हैं कि कम उम्र के बच्चे व किशोरों के लिए इन्हें प्रतिबंधित किया जा सके। समूचे विश्व का साइबर ला भी इस स्थिति में नहीं है कि इन अश्लील वीडियो को नेट पर अपलोड करने से रोका जा सके। देश के पुलिस मुख्यालयांे में से लगभग प्रत्येक पर सायबर सेल बनाए गए हैं। लेकिन वे चाहकर भी इनके दुष्परिणामों से बच्चों व किशोरों को बचा नहीं सकते हैं। किशोरों व बच्चों के पूरी तरह इनके प्रभाव क्षेत्र में आने से पहले ही ठोस कदम उठाया जाना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि देश के आम नागरिकों के साथ साथ मीडिया, शिक्षा और स्वास्थ्य जगत से जुड़े लोग शीघ्र ही कुछ सकारात्मक पहल करें।

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