Reality या 'रियल–इति'

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  • Saturday, July 30, 2011
  • आजकल ये रिअलिटी shows वाले contestant के emotion से खेलते हैं, उन्हें बड़े -२ सपने दिखाते हैं और ये सपने दिखने वाले और कोई नहीं बॉलीवुड के सितारे ही होते हैं, कहते हैं तू गा मैं तुझे रोटी दूंगा और फिर गायब हो जाते हैं.

    Chirag Joshi, Ujjain
    chirag_joshi94@yahoo.com

    'रियल इतिजी हां शायद रिअलिटी कार्यक्रमों का सही मतलब यही रह गया हैं, मुझे आज भी याद हैं जब Indian Idol-1 चालू हुआ था ..अपने घर में मैं इस शो का सबसे बड़ा पंखा (fan) था और मेरा पसंदीदा गायक जीत भी गया. जी हां अभिजीत सावंत बने थे पहले Indian Idol उसके बाद दूसरा भाग भी आया फिर तीसरा और फिर अब तक पांच भाग चुके हैं ,परन्तु क्या कोई जनता हैं के अभिजीत के अलावा बाकि गायक जो जीते थे वो कहा हैं उनका कोई वजूद भी हैं या नहीं अब, शायद हमसे से कोई नहीं जनता हैं. अभिजीत सावंत भी सफल तो हुए परन्तु फिर भी जिस सफलता का उन्होंने सोचा होगा उससे अभी दूर हैं वो ,आजकल comedy circus में कॉमेडी कर रहे हैं .

    इसके अलावा आज तो रिअलिटी shows की भरमार लगी हुई हैं, मैं इतना कहना चाहता हूँ के आजकल ये रिअलिटी shows वाले contestant के emotion से खेलते हैं, उन्हें बड़े -२ सपने दिखाते हैं और ये सपने दिखने वाले और कोई नहीं बॉलीवुड के सितारे ही होते हैं, कहते हैं तू गा मैं तुझे रोटी दूंगा और फिर गायब हो जाते हैं. स्पेशल एपिसोड में बड़े -२ कलाकार आते हैं कहते हैं, तू मेरी फिल्म में गाना गायेगा, तू मेरी फिल्म में नाचेगी पर बाद में हमें तो सिर्फ वही पुराने गायक और डांसर दिखाई देते हैं .

    अगर ये लोग उन्हें काम नहीं दे सकते तो क्यों झूठे वादे करते हैं, क्यों उनके सपनो से खिलवाड़ करते हैं, और जितना अपनापन shows पर दिखाते हैं वो सब TRP के लिए करते हैं , इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता बस judge बन कर आ जाते हैं और जो चैनल वाले बोलते हैं बोलने को वही बोलते हैं.

    आजकल तो shows में वोटिंग का सिस्टम आ गया हैं जो पहले नहीं था, बस जनता जिसे चाहे जीता सकती हैं, एक तरफ अच्छा भी हैं ये पर क्या सच में जनता जिसे चाहती हैं वो जीतता हैं पीछे की कहानी तो कुछ और ही होती हैं या फिर वो जीतता हैं जिससे शो को फायदा हो.
    judges भी उस contestant की तारीफ़ ज्यादा करते हैं जिससे शो की TRP बढे, देखा जाये तो इससे सबका भला हो रहा हैं सिर्फ उस उन contestants को छोड़कर जो बड़ी उमीदे ले कर आते हैं, और अनु मालिक जिस तरह से उनसे पेश आते हैं वो बड़ा ही गलत तरीका, मैं उनसे पूछता हूँ उन्होंने कोन से इसे तीर मार लिए बॉलीवुड में, चोरी की धुनों पर म्यूजिक बनाते हैं और गाना तो माशा अल्लाह क्या गाते "ऊची हैं बिल्डिंग ..लिफ्ट तेरी बंद हैं "

    Judges की लड़ाई भी सिर्फ TRP के लिए करवाई जाती हैं, वो कभी contestant के लिए नहीं लड़ते .आज भी हम देखते हैं कितने ही singer पाकिस्तान से आ रहे हैं और बॉलीवुड में गा रहे हैं और इसमे कोई बुरे नहीं हैं परन्तु जब हमारे देश में इतनी प्रतिभा हैं तो उन्हें मौका क्यों नहीं मिलता हैं ,कुछ को मौका मिला हैं पर वो सिर्फ कुछ हैं .

    पहले के रिअलिटी shows काफी अच्छे आते थे ,वो सच में रियल होते थे, जैसे सारेगामा सोनू निगम, कुनाल गांजावाला, श्रेया घोसल सभी वही के singer हैं और डांस की बात करे तो आज भी बूगी वूगी का कोई तोड़ नहीं हैं ,उन्होंने कई लोगो की मदद करी हैं सही मायने में वही रिअलिटी shows थे, और अब अगर mtv की बात करे तो roadies एक समय तक मुझे भी अच्छा लगा पर वहा भी सब नकली हैं ,आज अमित साना कहा हैं किसी को नहीं पता, वो अपनी इंजीनियरिंग की पढाई छोड़कर आया था 2 एल्बम्स के बाद उसका कोई एल्बम नहीं आया, और भी कई नाम हैं संदीप आचार्य, काजी तोकिर, तोशी .

    अंत में बस इतना कहना चाहूँगा के में इन shows के खिलाफ नहीं हूँ, बस में इतना चाहता हूँ के shows को पैसे कमाने का धंधा मत बनाओ, सच में दिल से किसी को एक एसा platform दो जहा वो अपने talent को दिखा सके. परन्तु आज के रिअलिटी shows में रिअलिटी नहीं हैं वो अब ‘रियल –इति’ हो गई हैं .





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