तमसो माँ ज्योतिर्गमय.............

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  • Thursday, February 3, 2011


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    तमसो माँ ज्योतिर्गमय

                तमसो माँ ज्योतिर्गमय......अल्लाह हो बुद्दिर्गमय .....अक्सर ही एक साथ आते है दो कौमों के विशेष पर्व ....क्या संदेश है इसका ? किसी के अल्लाह और किसी के भगवान् अगर एक ही साथ आ रहे हैं तो जरूर इसका कोई फलसफा होगा !क्या इसे हम समझ सकते हैं ?........... या कि बम धमाकों ने अनेकानेक प्राणों के साथ हमारी बुद्दि भी हर ली होती है !!.....दिखायी तो इनमे से कोई भी नहीं देता..... लेकिन अनदेखी और अनचीन्ही अजीबोगरीब भावनाओं की रौ में बहे जाते हम शायद खाभी भी अपने आप नहीं जीते !... बल्कि ना तो ख़ुद जीते हैं और ना ही दूसरों को जीने देते हैं .....हम क्या चाहते हैं यह तो अल्लाह या भगवान् का बाप भी नहीं जानता !! हम हमेशा चीज़ों का सामान्यीकरण कर देते हैं... और इसीसे सब चीजों का भयावह घालमेल हो जाता है!! 
               अब जैसे मैं चोरी करता हूँ,तो इसमें मेरे परिवार का क्या दोष,जिसने मेरे गंदे कर्मों की वजह से मुझसे कन्नी काटी हुई है !! मगर मेरे परिवार को ना सिर्फ़ दोषी मान लिया जाता है,बल्कि मेरे रिश्तेदारों को "भीतर"कर दिया जाता है,ये मंगल कार्य तो पुलिस करती है, मगर अगल-बगल का मेरा पड़ोस का समाज ही नहीं बल्कि दूर-दराज के लोग तक भी मेरे परिवार से घृणा करने लगता है,मेरी बदनामी को लोग ऐसे पर लगाते हैं कि जो कुछ मैंने कभी किया ही नही,वो सब भी मुझसे जोड़ देते हैं..... इस तरह किस्से-दर-किस्से मुझसे जुड़ते चले जाते हैं...... दरअसल जो कुछ भी मैं करता चला आ रहा था,उसके लिए तो मामूली सज़ा ही मुक़र्रर होती.... मगर इन घालमेलों की वजह से मेरा समाज में वापस लौटना असंभव हो जाता है सभी की नज़रों में मैं अंतत मैं देशद्रोही बन जाता हूँ..... एक देशद्रोही कभी भी अपने देशप्रेमी होने के चरित्र का सर्टिफिकेट लाकर नहीं दे सकता !!
               किसी भी समाज में कम या बेसी ग़लत लोग होते हैं.... मगर इसकी वजह से कभी भी उस पूरे समाज को ग़लत नहीं समझा जाता ............किसी ख़ास समुदाय में आज ग़लत तत्त्वों की संख्या किसी भी दूसरे समुदाय से ज्यादा है..... तो अवश्य ही इसके कारणों की बड़ी गंभीर तहकीकात करनी चाहिए,बजाय कि इसके आप दिन-रात उसे गरियाते रहो ..... वो कहा है ना .... कुछ तो बात रही होगी..... यूँ ही कोई बेवफा नहीं होता !! 
              कोई भी समाज सिर्फ़ व् सिर्फ़ तभी बदलता है, जब उसके भीतर मजबूत,आत्मविश्वासी ,उदार विचारों वाले तथा अपने रास्ते से कभी भी डिगने ना वाले लोग पैदा लेते हैं.... वो अपने कर्मो से अपने पैरों के पीछे एक ऐसा सुंदर व् अनुकरणीय राह बना देते है कि उनके जीते-जी उन्हें गालियाँ देता हुआ ये समाज भी उनकी अवमानना नहीं कर पाता !! जिन समाजों में ये मिसालें हैं वो समाज समय के साथ पूरी तरह बदल चुके हैं... दूसरी महत्वपूर्ण बात ये भी है कि हर समाज में देर-अबेर ऐसे लोग पैदा होते ही हैं... जो राहबर बन सकें अन्यथा समाज सड़ ही जायेगा !! प्रक्रति की ये स्वाभाविक प्रक्रिया है कि वह ऐसी स्थिति के आने पर उसका उन्मूलन करे और दोस्तों शायद यह स्थिति आज आ गई हुई जान पड़ती है !!
                ..... अब ऐसा प्रतीत होता है कि समुदाय विशेष के लोगों ने अपनी आंतरिक संरचना,अपनी कट्टरता ,रूदिवादिता,विज्ञान की अवहेलना और इन सबसे उत्त्पन्न अपनी समस्याओं को पहचानना आरम्भ कर दिया है.... इन भावों के स्वर अब बड़ी तेज़ीसे देखे जा रहे हैं.... और हलके-हलके ही सही मगर ग़लत चीज़ों के ख़िलाफ़ और सही चीजों के पक्ष में अब आवाजें उठने लगी हैं .... किसी भी चीज़ की शुरुआत एकदम से तो होती नहीं .... पहले थोड़े स्वर उठते हैं फ़िर उन स्वरों में और भी स्वर आ जुड़ते हैं ...... कारवाँ बनता चलता है..... कारवाँ बढ़ता है तो धूल उड़ती है !! आप सब देखते जाओ कि अब क्या होता है .... गोकि अंत भला तो सब भला होता है .... चंद लोगों के साथ मैं भी इसी उम्मीद में हूँ कि अब वाकई भला होने को हो है .... हाँ सच .... सवेरा होने को है !! ..... तमसो माँ ज्योतिर्गमय ..... अल्लाह हो बुद्दिर्गमय ...... हम सबको हम सभी के सभी पर्वों की यथा ईद-बकरीद-दीवाली-होली-मुहर्रम-बैशाखी-पोंगल-करमा-ख्रीस्त-पर्व और मैरी क्रिसमस की मंगल शुभकामनाएं ..... खुदा हाफिज़ !!
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