ये कौन अज्ञात है........!!

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  • Wednesday, January 5, 2011

  • मन मचलता है....
    मगर कुछ कह नहीं पाता....
    पता नहीं किस दिशा से 
    इसे कोई अज्ञात बुलाता....
    कौन कानों में कुछ सुरसुरा देता है...
    कौन देह को छुईमुई बना देता....
    कौन आँखों को रौशन-सा 
    करके भी इक धुंध भर देता है 
    कौन ह्रदय को महका जाता....
    मन मचलता है....
    मगर कुछ कह नहीं पाता 
    कहाँ से आ जाते हैं  
    आँखों में अनंत सपने.....  
    कौन कल्पनाओं को बना कर  
    मुझमें उड़ेल देता....
    कौन नस-नस में जीने की 
    ताकत भर देता है....
    और भरी उदासी में यकायक 
    उमंग को पग देता है.....
    ये कौन है जो होकर नहीं है और 
    नहीं होकर होने की तरह 
    ये कौन है जो हममें  रहकर  भी
    अज्ञात की तरह जीता  है....
    ये कौन अज्ञात है जो 
    हरदम मुझे बुलाता रहता है
    मेरे भीतर एक झरने की भांति
    अनवरत छलछलाता रहता है.....!!!    

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