नव वर्ष की हार्दिक और मंगलमय बधाइयों का सिलसिला अब खत्म हो रहा है. आश्चर्य है कि मुझे मेरे सभी दोस्त मित्रों ने फोन कर बधाईयाँ दी . कई ऐसे लोगों का भी फ़ोन आया जो लम्बे अरसे से मुझसे संपर्क में नहीं थे. कुल मिला कर हमने सबको याद किया और सबने हमको. अच्छा लगा कि लोगों की यादास्त अब तक कमजोर नहीं हुई है जैसा कि हमारे तमाम नेताबंधु सोचते है ..मगर मुझे कुछ चीजो का बड़ा अफ़सोस रहा ...इरोम शर्मीला की कहानी भी उनमें से एक है. अगर आप याद करें तो २००४ की वो घटना आप के जेहन में कहीं न कहीं जरुर आ जाएगी जिसमे मणिपुरी महिलाओं ने कपडे उतार कर असम रायफल्स के हेड क्वार्टर पर नग्न प्रदर्शन किया था ..वे एक बैनर लिए थी जिस पर लिखा था "इंडियन आर्मी , रेप मी".. इस घटना ने मीडिया का ध्यान पहली बार मणिपुर की ओर खीचा था ..
अब अगर आप को यह याद आ गया हो तो बताते चले की मणिपुर की ही एक लड़की इरोम शर्मीला ने २००१ में यह कसम खायी कि वह अपने राज्य से आर्म फ़ोर्स एस्पेसल पावर एक्ट को हटाये जाने तक अन्न जल ग्रहण नहीं करेगी . उसने यह भी कसम खायी कि जब तक यह एक्ट नहीं हटता वो अपनी माँ से नहीं मिलेगी ... यह ऐक्ट आर्म फोर्सेस को किसी भी व्यक्ति को बिना वारन्ट पकडने, पूछताछ करने और यहां तक कि गोली मारने का भी अधिकार देता है. गांधी की तरह ही शर्मीला नें भी अन्याय के खिलाफ लडाई में अहिंसा को अपना हथियार चुना.. तब से अब तक वहां न जाने कितने ही प्रदर्शन हुए हैं और न जाने कितने ही लोगों ने जाने दी हैं मगर एक्ट नहीं हटा ..इंडियन गवर्मेंट ने २००४ में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जीवन रेड्डी को जांच के आदेश दिए ..२००५ में उन्होंने अपनी रिपोर्ट सौपी जिसमे एक्ट को हटाने कि जोरदार सिफारिस क़ी गयी .. मगर आर्म फोर्सेस के दबाव में सरकार ने रिपोर्ट को ठन्डे बस्ते में डाल दिया
इस सबके बीच शर्मिला ने अपनी कसम वापस नहीं ली .. २००१ से अब तक उसने अन्न जल ग्रहण नहीं किया है ..पिछले दस सालों में वह अपनी माँ से कभी नहीं मिली .. हर साल वह ‘आत्महत्या के प्रयास’ में गिरफ्तार कर ली जाती है. अस्पताल के हाई सिक्योरिटी वार्ड़ में पड़े पड़े अब उसके शरीर के कई अंग बेकार होने लगे है ..उसे नाक में एक नली डाल कर पोषक तत्वों द्वारा जिन्दा रखा जा रहा है .. ..
2008 से इम्फाल में हर रोज कुछ महिलाएं इंफाल के कंगला फोर्ट पर इकठ्ठा होकर प्रदर्शन करती है और शर्मीला को उसके सत्यागृह में सहयोग देतीं है. हर साल जब भी मेरे दोस्त और पत्रकार मित्र मुझे फोन कर नए वर्ष क़ी बधाइयाँ देते है तो मेरे दिल में बस एक ही बात चुभने लगती है कि 'शर्मीला का नया साल कैसा रहा होगा'.... काश शर्मीला, मै तुम्हे और तुम्हारी माँ को नए साल क़ी मुबारक बात दे सकता!
आलोक दीक्षित
पत्रकार
दैनिक जागरण ग्रुप