फूल की फरियाद.......

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  • Monday, January 3, 2011

  •  क्या खता मेरी थी जालिम
    तुने क्यों तोडा मुझे ?
    क्यों न मेरी उम्र तक ही
    साख पर छोड़ा मुझे ?
    खून मेरा अपने सर लेकर
    तुझे  क्या मिल गया ?
    पेड़  के तख्ते जिगर लेकर
    तुझे  क्या मिल गया ?
    जिसकी रौनक  था मैं ,
    बे रौनक वो डाली हो गई |
    जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई  |
    साख क्या कहे और किससे ?
    बस तू रहम करना ठान ले |
    दिल का तोडना अच्छा नहीं |
    अरे नादान - ये बात तू जान ले |

    ............संजय भास्कर
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/
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    दखलंदाज़ी जारी रहे..!