
मै खुले आम रहता हु मै खुल कर बात करता हु
हो जाये सभी सहमत ऐसे विचार रखता हु
बहुत छोटे है दिल के ये जिनके मै साथ रहता हु
मजबूरी है की रोज इनको नमस्कार करता हु
बहुत उलझा हुआ हु ये कुछ लोग कहते है
और मै चुप चाप वक़्त का इंतजार करता हु
बड़ा कातिल है ज़माना बुरे वक़्त पर ही वार करता है
मै रोता हु मै हँसता और हस्ते हुए स्वीकार करता हु
'मनी' इक वक़्त आयेगा जब ये भी सोचेंगे
'मनी' कि हु मै हल्का और बड़ी बात करता हु
................मनीष शुक्ल

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