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  • Tuesday, December 7, 2010
  • पत्ती है एक टूटी हुई सी मेरी ज़िन्दगी॥
    वक़्त की हवा में है बहती हुई सी मेरी ज़िन्दगी॥
    मुश्किलों की रेत में गुलामटियाँ खाती हुई,
    चुनौतिओ क़ी बारिश में नहाती हुई,
    कली है फूटी हुई सी मेरी ज़िन्दगी॥
    पत्ती है एक टूटी हुई सी मेरी ज़िन्दगी॥

    शुरुआत खुशनुमा लगी हो तो आगे बढ़ने का आदेश दें..
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    दखलंदाज़ी जारी रहे..!