जिसने ये आग लगाई है ग़ज़ल है मेरी,
जो फिर से याद आयी है ग़ज़ल है मेरी।
ओढ़ के प्यार का लिबास कातिलों की गली में,
खबर बनके जो आयी है ग़ज़ल है मेरी।
जिसके हर लफ्ज़ का दीवाना जहाँ है,
जो हर ज़ेहन में छाई है ग़ज़ल है मेरी।
वैसे तो शबोरोज़ बहुत कुछ पढ़ा होगा,
पर जो उसके मन को भायी है ग़ज़ल है मेरी।