ये पढ़ के आज वो भी मुस्कुराया होगा , कही कुछ उसको भी याद आया होगा

Posted on
  • Sunday, November 21, 2010

  • ये पढ़ के आज वो भी मुस्कुराया होगा
    कही कुछ उसको भी याद आया होगा


    क्यों किसी ख़ामोशी में बहुत उलझे है जनाब
    लगता है किसी बेरुखी ने कल सताया होगा

    इन हसी रातो को बेकार न जाने दो
    क्युकी इनको भी किसी ने गुनगुनाया होगा

    अरे बहुत मशहुर हुए हो अब तो
    हक़ है अब तो पाया होगा

    'मनी' ये मोहब्बत जो सबसे ज़ालिम है
    कही इसने भी उत्सव मनाया होंगा
    ..........................मनीष शुक्ल

    Next previous
     
    Copyright (c) 2011दखलंदाज़ी
    दखलंदाज़ी जारी रहे..!