कमाल है..!

Posted on
  • Tuesday, November 2, 2010
  • नीरज पाल
     पिछले दिनों मैंने आपने मित्र नीरज पाल जी के ब्लॉग (www.neerajkavi.blogspot.com) पर यह कविता देखी, और सोचा इसे आप सबके साथ शेयर किया जाये, आशा है आपको भी बहुत पसंद आयेगी..

    बासी रोटी के कुछ टुकड़े
    हाथो में एल्मुनियम का गन्दा कटोरा
    तरकारी के कुछ रसीले आलू
    जिन पर कुछ मक्खियाँ भिनभिना रही हैं
    और बोल रही हों पहले हमे खाना है
    वो मैले नन्हे हाथों से
    उन्हें हटाने कि मासूम कोशिस
    गिडगिडती हुई आवाज़ में
    हँसने का प्रयास
    अंग्रेजी के कुछ शब्दों को
    बार बार दुहराते हैं
    वो राजधानी में
    पेट में हाथ फेरते है और
    थेंक यू, थेंक यू बोलते है  
    वो बचपन की आवाज़ है 
    या किसी शातिर दिमाग की चाल है
    ऐसे ना जाने कितने मेरे मन में सवाल हैं  
    पर वो बेबस हैं, बदहाल हैं
    जो भी हैं कमाल हैं
                    -नीरज पाल 
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