जरा ठहरो इस कहानी में कही हम भी है
बाते है इरादे है वो अनकही सी राते है
फिर आज मौका है आज सनम भी है
जिस नसे में खूब डूबे हुए हो
उस नसे के दीवाने बहुत हम भी है
आज कही तुम डूबे हुए हो तो कही हम
और कही डूबे हुए वो गम भी है
"मनी" अब तो बस वो धुंधली सी यादे है
डूबी हुई यादो में ये आँखे आज नम भी है
...............मनीष शुक्ल