फसते ही जा रहे हो जैसे दिलो जाल में
क्या कर रहे वो कुछ जानते नहीं
बस उलझे हुए वो अपने सवाल में
दिल भी गया नजरे गयी वफ़ा भी गयी
पर बहुत खुश है वो घुस के बवाल में
सब कुछ समझ चुके पर मानते नहीं
बस मस्त है वो अपने इस खेलखाल में
बहुत मजे में है न उनको समझाओ
'मनी' रहने दो छोड़ दो उनके हाल में
......................मनीष शुक्ल