मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
रो मत मेरी बच्ची !!
मेरी प्यारी-प्यारी बच्ची !!तुझे बहुत-बहुत-बहुत प्यार और तेरी माँ तथा तेरे भाई बहनों को भी मेरा असीम प्रेम !!
मेरी बिटिया मैं तेरा पिता लूकस टेटे धरती से बहुत दूर की दुनिया से बोल रहा हूँ....आज ही किसी अखबार में तेरे पत्र के बारे में मैंने जाना तो मेरी आँखे,मेरा दिल,मेरी आत्मा एकदम से भर्रा गयी....और बड़े गीले मन से और कराहती आत्मा से मैं तुझे कुछ कहना चाह रहा हूँ,मुझे उम्मीद है कि तू मेरी बात को ना सिर्फ समझेगी बल्कि जो मैं कहूँ उसे मानेगी भी....मानेगी ना तू ??
मेरी बिटिया,तेरी तरह मुझे भी यह नहीं पता कि मेरे नक्सली भाईयों ने मुझे ही क्यूँ मारा ?जबकि मैं तो उन्हें अब तक जल-जंगल-जमीन और उस पर रहने वाले आदिवासियों के व्यापक हित या हक़ में लड़ने वाला कुछ उग्रपंथी ही मानता था,जो सरकारी कार्यशैली और उसमें व्याप्त व्यापक भ्रष्टाचार के कारण गरम दल के रूप में परिणत हो गए एक गुट के रूप में देखा करता था!!मगर मैं भी तो अपने और अपने परिवार का पेट पालने के लिए संयोग-वशात या दुर्भाग्यवश सरकार के हक़ में रहने वाला एक अदना-सा कर्मचारी मात्र था,जिसका कार्य महज अपने आकाओं की हुक्मउदूली करना भर था,इस प्रकार सरकार और जनता दोनों ही की सेवा के लिए नियुक्त ऐसा कर्मचारी,जिसे हर समय तलवार की धार पर खडा रहना पड़ता था,हमारी किसी भी प्रकार की चूक हमें जनता या नेता किसी की भी गालियों का शिकार बना डालती थी,यहाँ तक कि हम किसी से मार खाकर भी उफ़ भी नहीं कर सकने वाले एक विवश कर्मचारी मात्र थे और ऐसे विवश आदमी को मारना यह,मेरी बिटिया,अब तक मेरी समझ से बाहर है!और तुम सब की याद में यहाँ मेरी आत्मा तड़फा करती है !!
मेरी प्यारी बिटिया,जंगल-जमीन-जल और आदिवासियों की बातें करने वाले ये लोग क्या सच में अब नक्सली ही हैं,इस बात पर अब मुझे शक होने लगा है,क्यूंकि सरकारी नीतियों और पूँजीवाद का विरोध करते हुए ये लोग उन्हीं की तरह धन-संपत्ति का संग्रह करते और जगह-जगह जमीन-मकान लेते ये लोग,बैंकों तथा डाक-खाने और शेयरों में पैसे का इन्वेस्ट करते ये लोग,तरह-तरह की अय्याशियाँ करते,रखैल रखते और संगठन की नेत्रियों को जबरन बलत्कृत करते ये लोग, हड़िया-दारू और अन्य प्रकार के नशों में धुत्त रहने वाले ये लोग,कहीं से लगता ही नहीं कि यही लोग आन्दोलनकारी हैं कि इन्हीं पूंजीपतियों और नेताओं की एक भद्दी कार्बन कॉपी !!और ये लोग जो आन्दोलन के नाम पर सिवाय हत्या,आगजनी,बंदी,अपहरण आदि के कुछ जानते तक नहीं !!निर्दोष नागरिकों का खून,सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान बस यही इनकी फितरत है जैसे,कुछ बनाना जो नहीं जानते,कितनी आसानी से सब कुछ को नष्ट कर देते हैं,एक मिनट भी नहीं लगता उन्हें यह सब करने....यह सब मात्र व्यवस्था के विरोध के नाम पर....!!
मेरी प्यारी बिटिया, तू बार-बार अखबार के माध्यम से यह मत जताया कर कि उन्होंने मुझ आदिवासी को ही क्यूँ मारा !!अरे मेरी पगली बिटिया उन्होंने किसी को भी मारा होता तो उस घर में आज हमारे घर की तरह ही अन्धेरा होता है ना !!तो यह अच्छा ही हुआ ना कि मैं उनके काम आ गया,उनके घरों में आज अँधेरा होने से बच गया !!मेरी बिटिया,अगर हमारी वजह से किसी और की जान बच जाए तो हमें मरने से डरना नहीं चाहिए !!और मेरी बच्ची मैं जानता हूँ कि तू कितनी बहादूर है और इस वक्त भी अपनी माँ और अपने भाई-बहनों को ढांडस देने की ही चेष्टा कर रही होगी और मैं यह भी जानता हूँ कि समय रहते तू सब कुछ संभाल लेगी! अब तू इक्कीस बरस की हो गयी है ना! तू शिक्षक बनना चाहती है ना ?तो मैं आ चुका हूँ यहाँ भगवान् के पास तेरी अर्जी लगाने !उन्होंने तेरी अर्जी मंजूर भी कर ली है मगर वो मुझसे कह रहे हैं कि मैं तुझसे कहूँ कि तू शिक्षक बन कर बच्चों में देश के प्रति प्रेम की अलख जगाए और उनमें देश के लिए मर जाने का जज्बा पैदा करे !! क्योंकि आज इस देश में इसके लिए मरने वालों की संख्या बेहद कम हो गयी है,बल्कि इसे लूटने वाले,इसके गौरव,इसकी अस्मत का हरण करने वाले लोगों की बहुतायत हो गयी है!
इसलिए ऐ बिटिया ,भगवान् हमसे कह रहा है कि आगे तू भी अगर बच्चों की माँ बने तो,तो अपने बच्चों के भीतर इस करप्ट व्यवस्था से लड़ने का और अच्छे काम के लिए मर-मिटने का संकल्प भर दे !मेरी बिटिया हमारे देश की सारी समस्याओं की जड़ इसका करप्शन और इससे लड़ने के संकल्प की कमी का है !!
जो पैसे वाले हैं,वो शायद पैसों के अलावा कुछ नहीं सोच पाते,मगर सेमिनारों में अच्छे-अच्छे व्याख्यान देते फिरते हैं और जिनके सर पर देश का ताज है,वो तो जैसे करप्टओ के बाप के बाप के भी बाप हैं और उन्हें इस बात से भी अंतर नहीं पड़ता कि देश कहाँ जा रहा है या कि उनके कर्मों से रसातल के किस दलदल में औंधा घुसा चला जा रहा है और ये लोग बड़े-बड़े मंचों से विकास और गौरव आदि की बात किया करते हैं....इस सारे सिस्टम से,ओ मेरी बिटिया, अपने बच्चों में अब लड़ने की इच्छा और और इससे हर हाल में जीतने का संकल्प भरना ही होगा !!
मेरी प्यारी बिटिया !!सच तो यह भी है कि पहले गांधी ,भगत सिंह और आज़ाद जैसे वीरों की माएं पैदा होती हैं,तब तो उनसे भगत सिंह पैदा होते हैं और समय की मांग भी यही है कि तेरे जैसी बिटियाएँ अब देश के ऐसे रखवालों को पैदा करें जो इन सरीखे तमाम महिषासुरों का मान-मर्दन कर सकें,उनका खात्मा कर सकें !और राज्य की बागडोर अपने नेक हाथों में लेकर इसकी चहुँ ओर फैली विपन्नता को दूर करें....बिटिया मेरी,मेरे जैसे एक आदमी का क्या सपना होता है ?यही ना कि हम सब अपनी मिनिमम जरूरतों को पूरा करके निम्नतम हद तक भी खुशहाल हो सकें,इसी प्रकार हमारे जैसे तमाम अन्य आम आदमी भी खुशहाल रहे !!और अपनी इस कामना के लिए हम स्टेजों पर हुंकारे नहीं भरते, मगर अरबों- खरबों पतियों वाली धन्ना-सेठों की यह भूमि अपने करोड़ों नागरिकों का पेट भरने तक के लिए चोरों की मोहताज हो जाए तो भगवान् से भी मोहभंग हो जाए, मेरी बिटिया, सबका !!
इसलिए ऐ मेरी प्यारी और बहादूर बिटिया !मत रो रे ! मत रो !!तू रोएगी तो मैं भी रो पडूंगा !क्या तू यही चाहती है कि मैं यहाँ आकर भी रोता ही रहूँ ?अगर मैंने तुझे अपना सच्चा प्यार दिया है तो जा दुनिया के सब बच्चों में वह प्यार बाँट !मेरे इस अवांछित तरीके से हुए बलिदान के बावजूद तू समाज को सच्चा और नैतिक बनाने में अपना योगदान दे !अगर तू ऐसा कर पायी तभी मैं खुश होउंगा !तभी मेरी आत्मा को मुक्ति भी मिलेगी !मगर तब तक, ओ मेरी बिटिया, मैं तड़पता ही रहूंगा !मेरी आत्मा कसमसाती ही रहेगी !!मेरी बच्ची ,अब इस महान कार्य को मैं तुझे सौंपता हूँ !तू मेरे सपने को पूरा करे,इतनी आशा तो मैं तुझसे कर सकता हूँ ना,तेरा बाप हूँ मैं !तुझे आशीर्वाद देता हूँ कि तेरे जैसी तमाम बच्चे-बच्चियों में मेरे देश का भविष्य सुरक्षित रहे !!इसी कामना के साथ विदा मेरी बेटी !!
तेरा अभागा बाप
लूकस टेटे