मोहब्बत थी वो मेरी दिल का था रिश्ता मेरा
फिर साथ क्यों छोड़ा उसने उन हालातो में
जब मै खामोश और उजड़ा पड़ा था घर मेरा
शायद कमी थी मोहब्बत में मेरी
इसलिए उससे टूटा रिश्ता मेरा
खड़ा राहों में बस सोचता मै रह गया
वफ़ा की कि बेवफाई क्यों साथ उसने छोड़ा मेरा
अब न हो मोहब्बत 'मनी 'दुआ करो ऐसी
क्यु की रह रह के सबने दिल यहाँ लुटा मेरा
............................मनीष शुक्ल