वक़्त किसके पास है..?

Posted on
  • Thursday, June 24, 2010

  • बारिश ने लिखी कविता  
    किसी खिड़की के शीशे पर 
    मगर अल्फाज़ पढ़ने का 
    यहाँ पर वक़्त किसके पास है 


    मौसम ने सजाया है 
    बड़ी मेहनत से अम्बर को 
    मगर छत पर टहलने का 
    यहाँ पर वक़्त किसके पास है 


    बाँहों में थम लो भले
    ये बात और है
    मगर दिल में उतरने का 
    यहाँ पर वक़्त किसके पास है


    समझ सकते हैं हम
    दुनिया के सरे कायदे कानून
    मगर खुद को समझने का
    यहाँ पर वक़्त किसके पास है.
                   
              असीम 
    Next previous
     
    Copyright (c) 2011दखलंदाज़ी
    दखलंदाज़ी जारी रहे..!