आपकी आज्ञा की प्रतीक्षा में: कार्तिक शर्मा

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  • Monday, May 3, 2010





  • नमस्कार
    यूँ तो दखलंदाजी मेरे जीवन का अभिन्न अंग है. पैदा होने मात्र से ही इस शांत दुनिया में एक धमाकेदार दखलंदाजी कर बैठा था. जिसे दुनिया विगत २२ सालो से प्रतिदिन झेल रही है. कई मौकों पर कई बार दखलंदाज़ भी हुआ हूँ.. तभी दखलंदाजी के इस दौर से गुजरते हुए आलोक दीक्षित नामक एक दखलंदाज़ से मुलाक़ात हुई. इस दखलंदाज़ ने दखलंदाजी की मर्यादा और हस्ती को चरम बिंदु तक पहुचाने के लिए जो योगदान दिया है उसी से अभिभूत एवं प्रेरित होकर आज मै भी दखलंदाजी की रणभूमि पर उतरने के लिए तैयार खडा हूँ और आप सभी दखालान्दाजों अथवा दाखालान्दाजीकारों की एक आधिकारिक स्वीकृती की अपेक्षा करता हूँ. मेरे दखलंदाजी शब्द के इतनी बार उपयोग करने से शायद आप परेशान हुए होंगे, लेकिन किसी दखलंदाजी से अगर किसी की बौहे ना तने तो वो दखल अंदाजी भी कैसी दखलंदाजी? दखल अंदाजी के इस पटल के निर्माता, व्यवस्थापक, लेखक, पाठक, प्रशंसक. आलोचक एवं सभी आम दखलंदाज़ अगर मेरी इस नृशंस दखलंदाजी को सहर्ष सहन करने को तैयार हो तो कृपया मुझे इस दखलंदाजी परिवार में दखल देने की स्वीकृति प्रदानकरें.
    सधन्यवाद
    आपकी आज्ञा की प्रतीक्षा में
    प्रार्थी, एक एसा दखलंदाज़ जिसे लोग कभी-कभी कार्तिक शर्मा भी कह देते है.
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    दखलंदाज़ी जारी रहे..!