मैं बचपन से ही गांगुली का फैन रहा हूँ. मै दस साल का था तब से गांगुली को शानदार छक्के लगाते देख रहा हूँ. दुःख है की अब गांगुली को दो कदम आगे निकलकर हुक करते हुए नहीं देख पाता. पर मेरे जैसे फैन के लिए यही काफी है की मै एक बार फिर गांगुली को बैटिंग करते हुए देख पा रहा हूँ और कप्तानी करते हुए भी. जब चैपल ने गांगुली को बहार का रास्ता दिखाया था तो मुझे भी लगने लगा था की अब गांगुली की वापसी नामुमकिन है. वो बेहद घटिया फार्म में था और सब कुछ उसके खिलाफ चल रहा था. ऐसे में भी वो लगातार वापसी की कोशिशें कर रहा था. ये सब देखकर वाकई दुःख होता था. मैंने अपने जीवन में जिन लोगों को सही साबित करने के लिए लोगों से बहस की है उनमे गांगुली सबसे ऊपर है. हालाँकि इन बहसों से गांगुली का कोई फायदा नहीं हुआ. सच कहता हूँ तो मै उस समय जो लोग मेरी तरह आँख बंद करके गांगुली पर भरोसा करते थे, वो भी अपना भरोसा खो चुके थे. गांगुली पर गुस्सा आती थी कि क्या ज़रूरत है इस तरह बेईज्ज़ती कराने की. लेकिन फिर गांगुली कि वापसी हुई. वो दोबारा टीम में आया. फिर मुझे पता लगा कि कोई इतना बड़ा स्टार कैसे बनता है. क्योकि वो हार नहीं मानता. जब उसके लिए दूसरों से झगड़ जाने वाले भी उस पर यकीन करना छोड़ देते हैं. तब भी वो खुद पर विश्वास बनाये रखता है. उसके आत्मविश्वास को देखकर मुझे हमेशा प्रेरणा मिलती है. अभी आईपीएल में उसके प्रदर्शन ने एक बार फिर मेरे विश्वास को मजबूत कर दिया. भले ही कोलकाता के खिलाडियों के फॉर्म में न होने कि वज़ह से वो टीम को सेमिफिनाल्स तक नहीं ले जा पा रहा है. फिर भी उसकी कोशिश काबिले तारीफ है. दुआ करता हूँ कि आज के मैच में चेन्नई और डेक्कन कि हार हो और कल कोलकाता कि जीत. मै जनता हूँ कि इन तीनों बातो का घटित होना मुश्किल है पर क्या करूँ गांगुली प्रेम के हाथों मजबूर हूँ. और अपनी आशा के आगे भी...... बाकि जैसा गांगुली और शाहरुख़ की किस्मत में हो. - असीम त्रिवेदी
u'll always be my hero........!!!!!!!!!!
Posted on Sunday, April 18, 2010
मैं बचपन से ही गांगुली का फैन रहा हूँ. मै दस साल का था तब से गांगुली को शानदार छक्के लगाते देख रहा हूँ. दुःख है की अब गांगुली को दो कदम आगे निकलकर हुक करते हुए नहीं देख पाता. पर मेरे जैसे फैन के लिए यही काफी है की मै एक बार फिर गांगुली को बैटिंग करते हुए देख पा रहा हूँ और कप्तानी करते हुए भी. जब चैपल ने गांगुली को बहार का रास्ता दिखाया था तो मुझे भी लगने लगा था की अब गांगुली की वापसी नामुमकिन है. वो बेहद घटिया फार्म में था और सब कुछ उसके खिलाफ चल रहा था. ऐसे में भी वो लगातार वापसी की कोशिशें कर रहा था. ये सब देखकर वाकई दुःख होता था. मैंने अपने जीवन में जिन लोगों को सही साबित करने के लिए लोगों से बहस की है उनमे गांगुली सबसे ऊपर है. हालाँकि इन बहसों से गांगुली का कोई फायदा नहीं हुआ. सच कहता हूँ तो मै उस समय जो लोग मेरी तरह आँख बंद करके गांगुली पर भरोसा करते थे, वो भी अपना भरोसा खो चुके थे. गांगुली पर गुस्सा आती थी कि क्या ज़रूरत है इस तरह बेईज्ज़ती कराने की. लेकिन फिर गांगुली कि वापसी हुई. वो दोबारा टीम में आया. फिर मुझे पता लगा कि कोई इतना बड़ा स्टार कैसे बनता है. क्योकि वो हार नहीं मानता. जब उसके लिए दूसरों से झगड़ जाने वाले भी उस पर यकीन करना छोड़ देते हैं. तब भी वो खुद पर विश्वास बनाये रखता है. उसके आत्मविश्वास को देखकर मुझे हमेशा प्रेरणा मिलती है. अभी आईपीएल में उसके प्रदर्शन ने एक बार फिर मेरे विश्वास को मजबूत कर दिया. भले ही कोलकाता के खिलाडियों के फॉर्म में न होने कि वज़ह से वो टीम को सेमिफिनाल्स तक नहीं ले जा पा रहा है. फिर भी उसकी कोशिश काबिले तारीफ है. दुआ करता हूँ कि आज के मैच में चेन्नई और डेक्कन कि हार हो और कल कोलकाता कि जीत. मै जनता हूँ कि इन तीनों बातो का घटित होना मुश्किल है पर क्या करूँ गांगुली प्रेम के हाथों मजबूर हूँ. और अपनी आशा के आगे भी...... बाकि जैसा गांगुली और शाहरुख़ की किस्मत में हो. - असीम त्रिवेदी

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