मेरा छोटा सा परिचय यही है क़ि मै फैशन designing की student हूँ और NIFT रायबरेली से फैशन disigning का course कर रही हूँ
मुझे महादेवी वर्मा बहुत पसंद है
उनकी एक कविता आप से शेर करना चाहती हूँ
मैं नीर भरी दु:ख की बदली
मैं नीर भरी दु:ख की बदली।
स्पंदन में चिर निस्पंद बसा
क्रंदन में आहत विश्व हँसा
नयनों में दीपक से जलते
पलकों में निर्झरिणी मचली।
मेरा पग-पग संगीत भरा
श्वासों से स्वप्न-पराग झरा
नभ के नवरंग बुनते दुकूल
छाया में मलय-बयार पली।
मैं क्षितिज-भृकुटि पर घिर धूमिल
चिंता का भार बनी अविरल
रज-कण पर जल-कण हो बरसी
नव जीवन-अंकुर बन निकली।
पथ को न मलिन करते आना
पदचिन्ह न दे जाते जाना
सुधि मेरे ऑंगन की जग में
सुख की सिहरन हो अंत खिली।
विस्तृत नभ का कोई कोना
मेरा न कभी अपना होना
परिचय इतना इतिहास यही
उमडी कल थी मिट आज चली।
स्पंदन में चिर निस्पंद बसा
क्रंदन में आहत विश्व हँसा
नयनों में दीपक से जलते
पलकों में निर्झरिणी मचली।
मेरा पग-पग संगीत भरा
श्वासों से स्वप्न-पराग झरा
नभ के नवरंग बुनते दुकूल
छाया में मलय-बयार पली।
मैं क्षितिज-भृकुटि पर घिर धूमिल
चिंता का भार बनी अविरल
रज-कण पर जल-कण हो बरसी
नव जीवन-अंकुर बन निकली।
पथ को न मलिन करते आना
पदचिन्ह न दे जाते जाना
सुधि मेरे ऑंगन की जग में
सुख की सिहरन हो अंत खिली।
विस्तृत नभ का कोई कोना
मेरा न कभी अपना होना
परिचय इतना इतिहास यही
उमडी कल थी मिट आज चली।

Join hands with Dakhalandazi
Message to Kapil Sibal
Save Your Voice: अपनी आवाज बचाओ
13 May: लंगड़ी यात्रा
वेब सेंसरशिप के खिलाफ 'दखलंदाजी'
Ban on the cartoons
Saraswati Siksha Samiti
