Sachin बस नाम ही काफी हैं: Second Century

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  • Monday, February 27, 2012
  •  Sachin का हर शतक लाजवाब रहा हैं. उनके 99 शतकों को हम अपनी इस सीरिज- 'सचिन बस नाम ही काफी है’ में कवर कर रहे हैं.  इसी कड़ी में पढ़िये आज सचिन के दूसरे शतक की स्टोरी


    आस्ट्रेलिया के विकटों पर तेज उछ्लती गेंदो का सामना करना ही हिम्मत का काम होता है. 1992 मे मर्व ह्यूज और क्रेग मैकडेरमौट जैसे गेंदबाज जब गेंदबाजी कर रहे हो तो हिम्मत मे कमी आना स्वाभाविक हैं. सर डॉन ब्रेडमैन की जमीन पर सचिन ने पहली बार कदम रखा था और आस्ट्रेलियाई दर्शको ने देखा एशिया का शेर जो विश्व क्रिकेट का नया डॉन बनने की राह पर चल पडा था.

    2 जनवरी 1992 को भारत सीरिज का अपना तीसरा टेस्ट खेलने सिड्नी के मैदान पर पहुचा. पहले दोनों मैच भारत क्रमश: 10 विकेट और 8 विकेट से हार गया था.

    भारत ने टास जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया था. आस्ट्रेलिया की पहली पारी 313 रन पर समाप्त हुई. जिसमे डेविड बून के नाट आऊट 129 रन भी शामिल थे.

    जवाब मे भारत के दो विकेट 79 पर गिर गये थे. उसके बाद वेंगसरकर और रवि शास्त्री ने 111 रन की साझेदारी करके स्कोर को 197 पर पहुचा दिया था. 197 रन पर वेंगसरकर शास्त्री का साथ छोड गये और चार रन बाद ही 201 पर अजहर भी पवैलियन लौट गये थे. अजहर के बाद सचिन क्रीज पर आये और शुरु हुआ बल्लेबाजी की किताब का एक नया अध्याय जो आस्ट्रेलियाई दर्शको ने पहली बार देखा था.

    युवा सचिन ने जिस तरह से ह्यूज और मैकडेरमौट का सामना किया वो तारीफ के काबिल था. उन्होने रवि शास्त्री के साथ मिलकर पाचवे विकेट के लिये 196 रन की साझेदारी की थी. जब भारत का स्कोर 397 था तब शास्त्री शानदार 206 रन बनाकर शैन वार्न का पहला टेस्ट शिकार बने. जी हा ये वार्न का पहला टेस्ट मैच था. पहली बार इस मैच मे सचिन और वार्न आमने सामने थे. भारत की पारी 483 रन पर समाप्त हुई. सचिन अंत तक आऊट नही हुये और शानदार 148 रन बनाये जिसमे उन्होने 14 बार गेंद को सीमारेखा के पार पहुचाया. इस शतक के साथ वो आस्ट्रेलिया मे शतक लगाने वाले सबसे युवा खिलाडी बन गये थे. उन्होने 298 मिनट बल्लेबाजी की थी. आस्ट्रेलिया ने दूसरी पारी मे 173 रन बनाये 8 विकेट खोकर और मैच ड्रा हो गया.

    सचिन की इस पारी पर आस्ट्रेलिया के शानदार तेज गेंदबाज मर्व ह्यूज ने एलन बार्डर से कहा था “ये लडका तुमसे भी ज्यादा रन बनायेगा.” इस पारी से उन्होने अपनी प्रतिभा और क्षमता को साबित किया था.

    अगली कड़ी मे पढिये कैसे सचिन ने दुनिया की सबसे तेज पिच पर दिखाया अपना जलवा.
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