15 अगस्त 1947 को जब भारत को आज़ादी मिली उसके बाद से भारत में कई परिवर्तन आये हैं, हम भारतीय हमारी एकता की मिसाल हर किसी को देते हैं, फिर भी आज़ादी के बाद भी हमने खुद इस मिसाल को गलत साबित किया हैं. मगर एक बात ऐसी है जिस पर सारे देशवासी एकजुट हैं और वो हैं क्रिकेट. तो आइये हम देखते हैं आज़ादी के बाद क्रिकेट में कितने बदलाव आये हैं.
Chirag Joshi, Ujjain
chirag_joshi94@yahoo.com
वैसे तो क्रिकेट में कई बदलाव आये हैं लेकिन कुछ series और players ने भारतीय क्रिकेट को एक नया मोड़ दिया हैं. हम आज उन्ही ही बात करेंगे .
वैसे तो क्रिकेट में कई बदलाव आये हैं लेकिन कुछ series और players ने भारतीय क्रिकेट को एक नया मोड़ दिया हैं. हम आज उन्ही ही बात करेंगे .
1932 में खेला था पहला टेस्ट
CK Naidu की कप्तानी में भारत ने अपना पहला टेस्ट खेला
20 साल बाद मिली पहली टेस्ट जीत
1952 में इंग्लैंड को मद्रास (अब चेन्नई ) में हराकर अपनी पहली टेस्ट जीत दर्ज करी थी .उसी साल भारत ने पाकिस्तान को हराकर अपनी पहली टेस्ट series जीती थी.
1961 में भारतीय टीम एक ऐसी टीम के रूप में जानी जाती थी जिसे उसके घर में हराना आसान नहीं था, और इसी बात को भारत ने सच भी साबित किया जब इंग्लैंड और न्यूजीलैंड को हराया .
1967-68 में न्यूजीलैंड को उसी के घर में हराकर भारत ने विदेशी ज़मीन पर अपनी पहली टेस्ट series जीती.
स्पिन की चौकड़ी और गावस्कर
1970 में भारत अपनी स्पिन bowling के लिए मानी जानी लगी और स्पिन की चौकड़ी (Bishen Bedi, E.A.S. Prasanna, BS Chandrasekhar, Srinivas Venkataraghavan ). इसी दौर में भारत को 2 शानदार batsman मिले Sunil Gavaskar और Gundappa Viswanath. साथ ही इस दौर में भारत की टीम एक strong batting टीम के रूप में भी उभर रही थी.1976 में इसे साबित भी कर दिया जब चौथी पारी में 403 का target chase कर West Indies को मात दी थी.
कपिल की कप्तानी में मिला ताज
भारत ने 1983 में world cup को जीत कर पूरी दुनिया को ये बता दिया था कि अब ये टीम one day cricket की भी मजबूत टीम हैं. 1985 में एशिया कप और ऑस्ट्रेलिया में world championship of cricket को जीत कर अपने इस दावे को और मजबूत किया.
इस दौर में भारत को कई all-rounder मिले लेकिन एक ऐसा था जो आजतक भारत का सबसे सफलतम all-rounder रहा हैं. जी हां one and only कपिल देव. Zimbabwe के खिलाफ 1983 की175 की रन की पारी को आज तक कोई भी नहीं भुला हैं.
1989 में उदय हुआ 2 महान players का
जी हां 1989 में भारत को 2 ऐसे players मिले जिन्हें आज तक याद किया जाता हैं. एक अनिल कुंबले और दूसरे "MASTER BLASTER " सचिन तेंदुलकर .
अनिल जैसा bowler इंडिया को आजतक नहीं मिला. उन्होने टेस्ट क्रिकेट में 619 wicket लिए थे और एक inning में 10 wicket लेने का कारनामा भी किया था .
सचिन के बारे में तो हर कोई जानता ही हैं और शायद अब उनकी तारीफ़ में शब्द कम पड़ जाये. सभी भारतीयों को उम्मीद हैं के वो जल्द ही अपनी 100 वी international century पूरी कर लेंगे .
2000 में फिक्सिंग का साया और दादा की दादागिरी
2000 में हंसते खेलते भारतीय क्रिकेट को न जाने किसकी नज़र लग गई और भारत के कुछ खिलाडी फिक्सिंग के इस जाल में फंस गए .
उसके बाद लगा कि कही ये भारतीय क्रिकेट का अंत तो नहीं पर उस वक़्त भारत को साथ मिला सौरव गांगुली का. दादा के नाम से मशहूर सौरव ने टीम को संभाला और युवराज, ज़हीर, हरभजन, धोनी जैसे players को टीम में ले कर आये. उन्होंने टीम को दूसरी टीम की आँखों में आँखे डाल के खेलना सिखाया और उसके बाद क्या ऑस्ट्रेलिया, क्या इंग्लैंड, इंडियन टीम ने सबको धोया और टीम को एक नया नाम और नई पहचान "TEAM INDIA" के तौर पर मिली.
2007 वर्ल्ड कप की हार और कैप्टेन कूल धोनी
जब 2007 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की शर्मनाक हार हुई ,तो फिर लगा के शायद सुनहरे दिन खत्म होने को हैं,पर "कहानी ख़त्म नहीं हुई थी ये तो एक और शानदार दौर की शुरआत थी"
धोनी ने जैसे ही कप्तानी संभाली भारत की झोली में डाल दिया पहला टी -20 वर्ल्ड कप और टीम इंडिया ने बढ़ा लिया कदम आगे की तरफ .
भारत उसके बाद टेस्ट की नंबर 1 टीम बना और फिर आया वो लम्हा जिसका हमें और टीम इंडिया को पिछले 28 सालो से इन्तजार था. जी हां भारत ने एक बार फिर वर्ल्ड कप जीत लिया.
अभी ज़रूर टीम इंग्लैंड में अच्छा नहीं खेल रही हैं,पर पूरे भारत को उम्मीद हैं के ये जल्द वापसी करेगी. पिछले 64 सालों में इस टीम ने देश को खुश होने के कई मौके दिए हैं और आज हम इस टीम के शुक्रगुजार हैं के इस टीम ने विश्व के खेल के नक़्शे पर हमें एक ‘पहचान’ दी है.
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