
कसाब का हिसाब बड़ा लम्बा चला है,
दुर्दांत हत्यारे को काहे फांसी नही देत हैं........
अंधाधुंध इसकी फायरिंग के चलते,
हेमंत करकरे से वीर हो गये खेत हैं ..............
अहिंसा की उनसे काहे बात करत हैं,
निर्दोष भारतियों की जान जो लेत हैं ..........
अजमल-ओ-अफजल नासूर वतन के,
इनको काटने में ही वतन का हेत है............
अपने हत्यारों को देख काहे खून नही खोलता,
"दीवाना" खून अपना क्या हो गया सफेत है...........
सफेत = सफेद, हेत = हित
दुर्दांत हत्यारे को काहे फांसी नही देत हैं........
अंधाधुंध इसकी फायरिंग के चलते,
हेमंत करकरे से वीर हो गये खेत हैं ..............
अहिंसा की उनसे काहे बात करत हैं,
निर्दोष भारतियों की जान जो लेत हैं ..........
अजमल-ओ-अफजल नासूर वतन के,
इनको काटने में ही वतन का हेत है............
अपने हत्यारों को देख काहे खून नही खोलता,
"दीवाना" खून अपना क्या हो गया सफेत है...........
सफेत = सफेद, हेत = हित

Join hands with Dakhalandazi
Message to Kapil Sibal
Save Your Voice: अपनी आवाज बचाओ
13 May: लंगड़ी यात्रा
Ban on the cartoons
Saraswati Siksha Samiti