सभी दखलअन्दाजो आशू शुक्ल का "नमस्कार" मेरी पहली रचना "कितना अमल करते हैं " आप के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ, यदि कोई त्रुटी हो तो जरुर बताएं ........
इस पर कितना अमल करते हैं
हम तो आये दिन आपस में लड़ा करते हैं
ये सब कहने की बाते हैं
बात पुरानी ना कहकर मै तुमको
नई बात बताता हूँ
अयोध्या में ही अपने मंदिर - मस्जिद को
लेकर आपस में ही भिड़े हैं
ना जाने उनको क्या मिल जायेगा
वे तो इसके लिए हिंसक बनने के लिए अड़े हैं
बड़े-बड़े विव्दान भी इस द्वंद में शामिल हैं
प्रेम से सुलह की जगह मार काट पर हावी हैं
"आशू" तुम सोच कर कुछ करना वरना
तुम भी इस में पिस जाओगे धर्म का
एजेंडा लेकर तुम यही गाओगे .......
हिन्दू ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई ............आशु शुक्ल

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