शरद पवार के भारत पाक क्रिकेट शुरू करने को लेकर दिए गए बयान पर मुंबई के स्वयंभू सम्राट श्री श्री १००८ राजाधिराज बाला साहेब ठाकरे ने उपदेश दिया है कि भारत-पाक क्रिकेट शुरू करने के बारे में सोचना भी पाप है. जिस व्यक्ति पर संप्रादियक हिंसा और दंगे भड़काने जैसे पाप हों उसे पाप और पुण्य कि बात करते देखना एक दुखद आश्चर्य है. इसके पहले भी बाला साहेब पाक कलाकारों के भारत आने पर ऐतराज़ जाता चुके हैं. और भाई ये तो लाजिमी है, जब उन्हें उत्तर भारतीयों का मुंबई आना बर्दाश्त नहीं तो फिर पाक कलाकारों का भारत आना वो कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं. वैसे हिंदुस्तान में नेता प्रजाति के किसी भी जीव से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है पर दुःख इसलिए होता है कि बाला साहेब स्वयं भी एक कलाकार रहे हैं. वो एक अच्छे कार्टूनिस्ट के रूप में समाज और राजनीती की बुराइयों पर चोट किया करते थे. और उस पर भी सच्चाई ये है कि वो एक बहुत प्रतिभाशाली कार्टूनिस्ट थे. उनके कार्टून्स आज के कार्टूनिस्टों के लिए भी प्रेरनादायी हैं. ऐसे कलाकार को इस तरह की घटिया राजनीती करके देखना दुखद है. भारत पाक की जनता को आपसी क्रिकेट शुरू होने से क्या तकलीफ हो सकती है, ये मेरी समझ के बाहर है. अब तक तो यही सुना था कि खेल और कला दुनिया को एक करते हैं. नफरत को दूर करते हैं. पर आज कुछ महात्मा लोग भगवा कपडे पहन कर दुनिया को नए ज्ञान से आलोकित कर रहे हैं. वो नहीं चाहते कि लोग ये समझें कि सरहद के दोनों तरफ एक ही जैसे लोग रहते हैं. एक जैसी बातों पर खुश होते हैं और एक जैसी बातों पर गुस्सा होते हैं. एक जैसे ही सपने देखते हैं. और एक जैसे ख्याल रखते हैं. दोनों ही तरक्की करना चाहते हैं, लड़ना नहीं चाहते. दोनों ही चाहते हैं कि वो अपने आने वाली पीढी के लिए कुछ पैसा और कुछ सुकून इकठ्ठा कर सकें.वो करम उँगलियों पे गिनते हैं... जुर्म का जिनके कुछ हिसाब नहीं
Posted on Sunday, July 4, 2010
शरद पवार के भारत पाक क्रिकेट शुरू करने को लेकर दिए गए बयान पर मुंबई के स्वयंभू सम्राट श्री श्री १००८ राजाधिराज बाला साहेब ठाकरे ने उपदेश दिया है कि भारत-पाक क्रिकेट शुरू करने के बारे में सोचना भी पाप है. जिस व्यक्ति पर संप्रादियक हिंसा और दंगे भड़काने जैसे पाप हों उसे पाप और पुण्य कि बात करते देखना एक दुखद आश्चर्य है. इसके पहले भी बाला साहेब पाक कलाकारों के भारत आने पर ऐतराज़ जाता चुके हैं. और भाई ये तो लाजिमी है, जब उन्हें उत्तर भारतीयों का मुंबई आना बर्दाश्त नहीं तो फिर पाक कलाकारों का भारत आना वो कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं. वैसे हिंदुस्तान में नेता प्रजाति के किसी भी जीव से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है पर दुःख इसलिए होता है कि बाला साहेब स्वयं भी एक कलाकार रहे हैं. वो एक अच्छे कार्टूनिस्ट के रूप में समाज और राजनीती की बुराइयों पर चोट किया करते थे. और उस पर भी सच्चाई ये है कि वो एक बहुत प्रतिभाशाली कार्टूनिस्ट थे. उनके कार्टून्स आज के कार्टूनिस्टों के लिए भी प्रेरनादायी हैं. ऐसे कलाकार को इस तरह की घटिया राजनीती करके देखना दुखद है. भारत पाक की जनता को आपसी क्रिकेट शुरू होने से क्या तकलीफ हो सकती है, ये मेरी समझ के बाहर है. अब तक तो यही सुना था कि खेल और कला दुनिया को एक करते हैं. नफरत को दूर करते हैं. पर आज कुछ महात्मा लोग भगवा कपडे पहन कर दुनिया को नए ज्ञान से आलोकित कर रहे हैं. वो नहीं चाहते कि लोग ये समझें कि सरहद के दोनों तरफ एक ही जैसे लोग रहते हैं. एक जैसी बातों पर खुश होते हैं और एक जैसी बातों पर गुस्सा होते हैं. एक जैसे ही सपने देखते हैं. और एक जैसे ख्याल रखते हैं. दोनों ही तरक्की करना चाहते हैं, लड़ना नहीं चाहते. दोनों ही चाहते हैं कि वो अपने आने वाली पीढी के लिए कुछ पैसा और कुछ सुकून इकठ्ठा कर सकें.

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