न जाने क्यों मै मोह्हबत कर बैठा दिल लिया और दिल के टुकड़े कर बैठा

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  • Saturday, June 26, 2010
  • न जाने क्यों मै मोह्हबत कर बैठा
    दिल लिया और दिल के टुकड़े कर बैठा

    वो चाहते थे दूर तलक जाना संग में
    मै खाम खाम ही जघ्डे कर बैठा

    जिस सीसे पे बनाई थी उसने तस्वीर मेरी
    मै उस सीसे को चकना चूर कर बैठा

    बड़े अरमा से सजाई थी उसने महफ़िल मेरी
    मै बेवजह ही महमानों से जघ्डे कर बैठा

    बे पनाह चाहत थी सायद वो
    पर न जाने क्यों मै नखरे कर बैठा

    ..................... मनीष शुक्ल
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