आस्ट्रेलिया के इस बाये हाथ के बल्लेबाज़ के खेलने का अंदाज़ काफी आक्रमक हैं .अगर 10-15 ओवर ये पिच पर रुक जाये तो किसी भी मैच को पलटने का दम रखते हैं.
Chirag Joshi, Ujjain
chirag@dakhalandazi.co.in
लेकिन कुछ समय पहले जब वार्नर ने डेब्यू करा था .तब वो सिर्फ आक्रमक खेलना जानते थे. शुरुआत के कुछ मैच मे तो उनका जलवा चला, परंतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आपकी कमी छूपति नही हैं .
लेकिन कुछ समय पहले जब वार्नर ने डेब्यू करा था .तब वो सिर्फ आक्रमक खेलना जानते थे. शुरुआत के कुछ मैच मे तो उनका जलवा चला, परंतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आपकी कमी छूपति नही हैं .
2009 मे करा डेब्यू
2009 मे साउथ अफ्रीका के खिलाफ होबार्ट मे वार्नर ने अपना डेब्यू करा था. अपने पहले मैच मे वो सिर्फ 5 रन बना कर आउट हो गये थे, लेकिन दूसरे मैच मे शानदार 69(60) रन बनाये थे. सिर्फ आक्रमकता को अपना हथियार बनाने वाले वार्नर पिच पर टिकने मे वो माहिर नही थे . विपक्षी टीमो ने ये जल्द ही भाप लिया और सिर्फ 7 वन डे खेलने के बाद ही उन्हे टीम से बाहर कर दिया गया. 28 अगस्त 2009 के बाद से वार्नर ने आस्ट्रेलिया की तरफ से कोई भी वन डे मैच नही खेला हैं .
घरेलू और टी-20 मे दिखाया दम
वार्नर के घरेलू मैचो मे अच्छे प्रदर्शन के कारण ही उन्हे टीम मे शामिल किया था. 9 घरेलू मैचों मे 211 के सर्वाधिक स्कोर के साथ 747 रन बनाये थे .
इसके साथ ही टी-20 (अंतरराष्ट्रीय) मे भी काफी अच्छा प्रदर्शन रहा हैं. 27 टी-20 मैचो मे 89 के सर्वाधिक स्कोर के साथ 775 रन उन्होने बनाये हैं .
अपने पहले ही टी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैच मे उन्होने साउथ अफ्रीका के खिलाफ शानदार 89 रन बनाये थे वो भी सिर्फ 43 गेंद पर.
चैम्पियन्स लीग मे आया बदलाव
चैम्पियन्स लीग के पहले तक सभी को लगता था के वार्नर सिर्फ आक्रमक तरीके से खेलना जानते हैं. लेकिन अपने खेल से उन्होने सबको चकित कर दिया. अंतिम लीग मैच और सेमीफाइनल मे उन्होने पूरे 20 ओवर बल्लेबाज़ी करके ये बता दिया कि अब वो पिच पर टिक कर खेलने का हुनर जान गये हैं.
अंतिम लीग मैच मे 135 और सेमीफाइनल मे 123 रन नाट आउट बनाये थे. चैम्पियन्स लीग मे वो इस बार सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ भी बने है.
वार्नर का इस तरह से अपने खेल मे बदलाव उनके और उनकी टीम दोनों के लिये फायदेमंद रहेगा क्योंकि आक्रामक खेलने मे वो माहिर हैं और इसके साथ अगर वो पिच पर ज्यादा देर टिके तो किसी भी गेंदबाज़ी आक्रमण की धज्जियां उडा सकते हैं .
वार्नर का इस तरह से अपने खेल मे बदलाव ये दर्शाता हैं कि इस खेल मे धीरज बहुत जरुरी हैं. सिर्फ बैट घुमाने से कोई भी बल्लेबाज़ नही बन सकता हैं.