ये ट्वीट इरोम शर्मीला के लिये है

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  • Friday, April 8, 2011

  • इरोम शर्मीला को अन्ना हजारे जितनी लोकप्रियता भले ही मिल पाई हो मगर विरोध जताने के इस गांधीवादी तरीके ने दुनियाभर में एक मिसाल जरूर कायम की है.

    कहा जाता है कि गांधी जी जिधर दो कदम भी बढ़ जाते थे करोड़ों लोग उसी ओर अपने कदम बढ़ा देते थे. गांधी जी के बाद कुछ ऐसा ही जेपी के साथ हुआ और अब कहते हैं कि अन्ना हजारे के साथ भी वही जन समर्थन जुट रहा है.

    अन्ना हजारे आमरण अन्शन पर बैठे और लोगों का हुजूम उनके साथ हो चला. 100 घंटों के अंदर ही सरकार हिल गयी और अन्ना का सारी मांगे मान ली गयीं. मगर मनिपुर की एक लड़की पिछले 11 सालों से भूख हड़ताल पर है.

    फेसबुक और ट्विटर पर अन्ना हजारे को तो भरपूर समर्थन मिल रहा है मगर इस इरोम शर्मीला का लोग नाम तक नहीं जानते हैं.

    इरोम की यह कहानी भी उन लोगों की कहानियों में से एक है जिन्हे अपने त्याग की कीमत नहीं मिल पाई.

    अगर
    आप याद करें तो 2004 की वो घटना आप के जेहन में कहीं न कहीं जरुर आ जाएगी जिसमे मणिपुरी महिलाओं ने कपडे उतार कर असम रायफल्स के हेड क्वार्टर पर नग्न प्रदर्शन किया था ..वे एक बैनर लिए थी जिस पर लिखा था "इंडियन आर्मी , रेप मी".. इस घटना ने अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान पहली बार मणिपुर की ओर खीचा था.



    मणिपुर की इस लड़की इरोम शर्मीला ने 2001 में यह कसम खायी कि वह अपने राज्य से आर्म फ़ोर्स एस्पेसल पावर एक्ट को हटाये जाने तक अन्न जल ग्रहण नहीं करेगी. उसने यह भी कसम खायी कि जब तक यह एक्ट नहीं हटता वो अपनी माँ से नहीं मिलेगी.

    यह ऐक्ट
    (Armed Forces Special Power Act ) आर्म फोर्सेस को किसी भी व्यक्ति को बिना वारन्ट पकडने, पूछताछ करने और यहां तक कि गोली मारने का भी अधिकार देता है.

    गांधी की तरह
    ही शर्मीला नें भी अन्याय के खिलाफ लडाई में अहिंसा को अपना हथियार चुना.


    तब से अब तक वहां न जाने कितने ही प्रदर्शन हुए हैं और न जाने कितने ही
    लोगों ने जाने दी हैं मगर एक्ट नहीं हटा. इंडियन गवर्मेंट ने 2004 में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जीवन रेड्डी को जांच के आदेश दिए. 2005 में उन्होंने अपनी रिपोर्ट सौपी जिसमे एक्ट को हटाने कि जोरदार सिफारिश क़ी गयी . मगर आर्म फोर्सेस के दबाव में सरकार ने रिपोर्ट को ठन्डे बस्ते में डाल दिया.

    इस सबके बीच शर्मिला ने अपनी कसम वापस नहीं ली
    . 2001 से अब तक उसने अन्न जल ग्रहण नहीं किया है. पिछले दस सालों में वह अपनी माँ से कभी नहीं मिली . हर साल वह आत्महत्या के प्रयासमें गिरफ्तार कर ली जाती है. अस्पताल के हाई सिक्योरिटी वार्ड़ में पड़े पड़े अब उसके शरीर के कई अंग बेकार होने लगे है. उसे नाक में एक नली डाल कर पोषक तत्वों द्वारा जिन्दा रखा जा रहा है .

    2008
    से इम्फाल में हर रोज कुछ महिलाएं इंफाल के कंगला फोर्ट पर इकठ्ठा होकर प्रदर्शन करती है और शर्मीला को उसके सत्यागृह में सहयोग देतीं है.

    इरोम शर्मीला को अन्ना हजारे जितनी लोकप्रियता भले ही न मिल पाई हो मगर विरोध जताने के इस गांधीवादी तरीके ने दुनियाभर में एक मिसाल जरूर कायम की है.

    फेसबुक और ट्विटर पर अन्ना की सफलता के बाद मैं अपने फेसबुक स्टेटस पर इरोम के आन्दोलन की छोटी सी कहानी और एक ट्वीट इरोम शर्मीला के नाम कर रहा हूं, आप क्या कर रहे हैं?

    Alok Dixit

    Journalist

    alok@dakhalandazi.com

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