गेंदबाज़ के रूप में मदन लाल के लिए 1983 का विश्व कप बेहतरीन साबित हुआ. निचले क्रम में उन्होंने बल्लेबाज़ी में भी योगदान दिया.
वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ फ़ाइनल मैच में उन्होंनें ही भारत को हेन्स और रिचर्डस जैसे क़ीमती विकेट दिलाए थे. वर्ल्ड कप में मदन लाल ने कुल 17 विकेट लिए और 102 रन भी बनाए.
1983 विश्व कप में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 20 रन देकर चार विकेट. इस लीग मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 118 रन से हराया था.
वर्ष 1975 में जब क्रिकेट का पहला वर्ल्ड कप हुआ था तो पहली गेंद मदन लाल ने ही डाली थी. उन्होंने बीबीसी के साथ बाँटी 1983 की ऐतिहासिक जीत की यादें.
नहीं थी उम्मीदें
"हमने इस विश्व कप से पहले ज़्यादा वन डे क्रिकेट नहीं खेली थी. ना ही हम इसकी ज़्यादा प्रैक्टिस करते थे. हमारा प्रदर्शन भी अच्छा नहीं रहता था.
लंच ब्रेक के दौरान हम सब सो रहे थे. फिर बारहवें खिलाड़ी सुनील वाल्सन ने हमें जगाया और कहा उठो वेस्ट इंडीज़ की पारी शुरू होने वाली है.
मदन लाल, 1983 की विश्व कप विजेता भारतीय टीम के सदस्य
इसलिए हमारे प्रशंसकों को भी हमसे ज़्यादा उम्मीदें नहीं थीं. हां उससे पहले हम वेस्ट इंडीज़ में वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ सीरीज़ खेल कर आए थे उसमें हमारा अच्छा प्रदर्शन था. लेकिन फिर भी हमें कोई ज़्यादा महत्तव नहीं दे रहा था."
उम्मीद की किरण
टूर्नामेंट में जो हमारा पहला मैच था वो वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ था. हमें उसमें जीत मिली थी.
उसके बाद कपिल देव की बेहतरीन 175 रनों की पारी की बदौलत हम ज़िंबाब्वे के ख़िलाफ़ मैच भी जीत गए थे.
लगातार दो मैच जीतने से हमारा आत्मविश्वास काफ़ी बढ़ गया था. हमें आशा की किरण दिखाई देने लगी थी.
लेकिन फिर बीच में हम दो मैच हार गए तो फ़ाइनल में पहुंचने की उम्मीदें थोड़ी डगमगाने लगीं. फिर भी पूरे टूर्नामेंट के दौरान हमें कुछ अच्छा करने का विश्वास बना हुआ था. विश्वास था अच्छा करने का.
सब सो रहे थे
फ़ाइनल में हमारे उपर कोई दबाव नहीं था. क्योंकि हमारे लिए फ़ाइनल तक पहुंचना ही बड़ी उपलब्धि थी.
भारत की विश्व कप जीत
दबाव वेस्ट इंडीज़ पर ज़्यादा था क्योंकि वो दो बार के विश्व विजेता था. फिर जब हम फ़ाइनल में सिर्फ़ 183 रन बनाकर ऑल आउट हो गए तो भी सब बड़े तनावमुक्त थे.
उस समय लंच ब्रेक ज़्यादा लंबा हुआ करता था और हम लोग जल्दी आउट भी हो गए थे. तो हमारे पास बहुत वक़्त था. हममें से ज़्यादातर लोग तो इस दौरान सो गए थे.
फिर जब वेस्ट इंडीज़ की पारी शुरु होने वाली थी तो बारहवें खिलाड़ी सुनील वाल्सन ने हमें जगाया और कहा उठो भाई. मैच शुरु होने वाला है.
मेरी ज़िद
वेस्ट इंडीज़ की बल्लेबाज़ी के दौरान विव रिचर्ड्स ज़बरदस्त बैटिंग कर रहे थे. वो मेरी गेंदों की धुनाई कर रहे थे.
ऐसे में कपिल के हाथ में गेंद थी और वो देख रहा था कि किसे गेंदबाज़ी दी जाए.
तब मैंने उसके हाथ से गेंद छीन ली और कहा कि मैं गेंदबाज़ी करूंगा. कपिल ने कहा अरे रुक भाई. मैंने कहा कि नहीं मैं बॉलिंग करूंगा. देखना इसे मैं आउट कर दूंगा.
मैं जानता था कि रिचर्ड्स मुझे टारगेट कर रहा है इसलिए उसे मैं आउट कर सकता हूं. मैंने फिर उसे जो गेंद फेंकी उसकी रफ़्तार मेरी बाकी की गेंदों से तेज़ थी. रिचर्ड्स ने उसे मिसहिट किया और फिर कपिल ने क्या कैच पकड़ा.
वैसा ज़ोरदार कैच करना कपिल जैसे ज़ोरदार फ़ील्डर के ही बूते की बात थी. फिर तो रिचर्ड्स का विकेट गिरते ही मैच का रुख ही पलट गया.
क्या नज़ारा था
जब हम मैच जीत गए तो दर्शकों का पूरा हुज़ूम ही मैदान में घुस आया.मैदान का ऐसा कोई हिस्सा नहीं था जहां लोग ना हों.
उस जीत ने भारतीय क्रिकेट को नई दिशा दी. इंग्लैंड में रहने वाले भारतीय तो भाव विभोर हो गए. उन्होंने हमसे कहा कि आप लोगों ने हमें इस जीत के रूप में शानदार तोहफ़ा दिया है.
अब भी जब मैं इंग्लैंड जाता हूं तो उनमें से कई लोग हमसे मिलते हैं. हमारे साथ वक़्त बिताते हैं.
खाना नहीं मिला
जीत के बाद शैंपेन खुलने लगीं. भांगड़ा होने लगा. ख़ुशियां मनाते मनाते बेहद रात हो गई.
तब हमें भूख लगी और हम खाना ढूंढने निकले. लेकिन देर रात होने की वजह से कहीं पर हमें खाना नहीं मिला.
इसी दौरान हमें भारत के महान टेनिस खिलाड़ी विजय अमृतराज मिल गए. उन्होंने हमें जीत की बधाई दी.
बहरहाल खाना तो हमें मिला नहीं. तो हमें बस सैंडविच खाकर अपनी भूख मिटानी पड़ी.
(बीबीसी संवाददाता अनुभा रोहतगी से बातचीत के आधार पर)