ऐ औरत !!अब तुझे रूपम पाठक ही बनना होगा.....!!

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  • Friday, January 14, 2011

  • ऐ  औरत !!अब तुझे रूपम पाठक ही बनना होगा.....
    ऐ औरत !!अब अगर तूझे सचमुच एक औरत ही होना है 
    तो अब तू किसी भी व्यभिचारी का साथ मत दे....
    जैसा कि तेरी आदत है बरसों से 
    घर में या बाहर भी......
    कि हर जगह तू सी लेती है अपना मुहं 
    घर में किसी अपने को बचाने के लिए.....
    और बाहर अपनी अस्मत का खिलवाड़.....
    इस सबको झेलने से बेहतर तू समझती है....
    सबसे ज्यादा अच्छा अपना मुहं सी लेना....

    और तेरे मुहं सी लेने की कीमत क्या है,तू जानती है...??
     तेरी ही कोख से जने हुए ये बच्चे...बूढ़े...और जवान....
    सब-के-सब तुझ पर चढ़ बैठना चाहते हैं....
    ये उद्दंड तो इतने हो गए हैं तेरी चुप्पी से....
    कि इन्हें कुछ नज़र ही नहीं तुझमें,तेरी कोख के सिवा 
    ......तो अब तू सोच ना....कि तेरे पास अब चारा ही क्या है...
    ......आ मैं बताता हूँ तुझे....लेकिन मैं क्या बताऊँ 
    ......अब तो सबको रूपम ने बता ही दिया है.......
    .......उठा ले हाथों में कटार....या फिर कुछ और....
    .......बेशक ये रास्ता मुश्किल से बहुत है भरा......
    .......मगर कुछ ही दिन करना होगा यह तुझे...
    .......उसके बाद देख लेना.............
    ......कि तेरी तरफ उठने वाला हर नापाक कदम 

    ......तेरा क्रोध भरा चेहरा देखकर....
    .......वापस लौट जाएगा....अगले ही दम....!!
    ......ऐ औरत तू ज़रा सी देर के लिए बना ले....
    .....खुद को दुर्गा का कोई भी अवतार.....
    .....जो आज बनी है रूपम सी कोई....
    ......अपने बच्चों को बता अपने रौद्र रूप के मायने 
    ......और आदमी रुपी जानवर की वीभत्सता का क्रूर सच...
    ......तेरे भीतर की दुर्गा अगर तुझमें ज़रा सी भी अवतरित हो जाए...
    ......तो हर वहशी इंसान को अपनी औकात पता चल जाए...!! 
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