........................................................ वाह समय तेरा क्या कहना .........................................................

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  • Wednesday, December 8, 2010

  • जिसको नसीब नहीं था तांगा कल तक
    वो आज फ्लाईट से उड़ रहे है
    और जिनके घर कल तक पैसे उगते थे
    वो आज दाने दाने को तरस रहे है
    देख उसे मन बोल उठा
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    वाह समय तेरा क्या कहना
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    ऐसे मस्ती भी देखि जो सब कुछ यहाँ लुटा बैठी
    और ऐसी मेहनत भी देखि जो खाली थी
    सब भर बैठी देख उसे मन बोल उठा
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    वाह समय तेरा क्या कहना
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    और ऐसे प्यारे लोग दिखे जो अंदर से बेहद प्यारे थे
    पर ऐसा प्यार मिला न उनको जिसकी वो आशा करते थे
    और ऐसे पागल सनकी देखे जो अन्दर से भी घातक थे
    और ऐसे प्यारे लोग मिले उनको जिनको कभी न सोचा था
    देख उसे मन बोल उठा
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    वाह समय तेरा क्या कहना
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    ऐसे मिले गरीब जो अंदर से भाओ में डूबे थे
    और ऐसे मिले रहीस जो अंदर से इज्ज़त रखते थे
    और ऐसे मिले फ़कीर जो मन से दुआ अता करते थे
    देख उसे मन बोल उठा
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    वाह समय तेरा क्या कहना
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    ऐसे मिले दीवाने जो गहरी चाहत रखते थे
    और ऐसे चतुर मिले जो विज्ञान ज्ञान में रखते थे
    और ऐसे मिले सिपाही जो जान हथेली पर रखते थे
    और ऐसे नेता मिले जो देश के खातिर जीते थे
    देख उसे बोल उठा मन
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    वाह समय तेरा क्या कहना
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    और ऐसी लगन देखि जो चपरासी से मंत्री बनते थे
    और ऐशा मंच देखा जो सिर्फ दिखावा करता था
    और ऐशी चौपाले देखि जिनसे इक सहर चला करता था
    देख उसे मन बोल उठा
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    वाह समय तेरा क्या कहना
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    .........................मनीष शुक्ल

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