बड़े प्यार से झोपडी में आने का जो था वादा
पर ए क्या आप तो महलो से झाँक भी न पाए
मैंने तो बना लिया था घर अपना
पर ए क्या आप एक रिश्ता भी न बना पाए
दिल न टूटे किसी का ऐसी दुआ कि थी
पर ए क्या आप अपना ही दिल न बचा पाए
देखे थे जो वो सपने सारे
पर ए क्या आप तो कोई सपना न सजा पाए
कहते थे ये सच्ची मोह्हबत है हमारी
पर ए क्या आप तो दिल को दिल्लगी से न बचा पाए
.............................. ................मनीष शुक्ल